प्रवासी न करें राशन की चिंता, वन नेशन-वन कार्ड योजना के तहत मिलेगा अनाज

दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासियों को सरकार पर्याप्त खाद्यान्न मुहैया कराएगी। जिसके पास किसी भी राज्य का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का कार्ड है, उसे वन नेशन-वन कार्ड योजना के तहत अनाज दिया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने शुक्रवार को प्रवासियों के लिए राशन की ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन में प्रवासी उत्तराखंडी बड़ी संख्या में वापस अपने घरों को लौट रहे हैं। इन लोगों को तात्कालिक राहत देने के लिए सरकार कदम उठा रही है। सीएम के अनुसार, जिन लोगों के पास कोई कार्ड नहीं, उन्हें  ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ के तहत प्रति यूनिट पांच किलोग्राम चावल और एक किलोग्राम दाल मुफ्त दी जाएगी।

सभी डीएम और डीएसओ को वापस आए प्रवासियों और उनके कार्ड संबंधी विवरण जुटाने के निर्देश दिए हैं।  इस बीच सीएम ने मास्क पहनने की अपील करते हुए कहा कि इसे अनिवार्य किया जाएगा। यह कोरोना का संक्रमण रोकने में उपयोगी है। जो लोग सार्वजनिक स्थानों पर बिना मास्क के पाए जाएंगे उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।  
 मुख्यमंत्री ने पीएम केयर्स फंड और सीएम राहत कोष में सहयोग के लिए प्रदेश के लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने तो अपने जीवन की सारी जमापूंजी ही इस बीमारी की रोकथाम के लिए समर्पित कर दी है।

दर्शनी देवी रौथाण का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने देश की सेवा के लिए दो लाख रुपये का सहयोग दिया। उन्होंने बताया कि उनके पति कबोत्र सिंह देश की सेवा करते हुए 1965 में शहीद हो गए थे। इससे पहले गौचर निवासी देवकी भंडारी पीएम केयर्स फंड में 10 रुपये लाख का सहयोग दिया। स्वयं किराये के मकान में रहते हुए वो पेंशन से जीवनयापन कर रही हैं। बुजुर्ग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी साधु सिंह बिष्ट ने भी योगदान दिया।


मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की शुक्रवार को कई गईं घोषणाओं से देश में कृषि, पशुपालन, मछली पालन और इससे संबंधित क्षेत्रों को मजबूती मिलेगी।उन्होंने कहा कि किसानों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए स्थायी फ्रेमवर्क बनाया गया है। कृषि के क्षेत्र में किए गए सुधार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करते हुए आत्मनिर्भर भारत में महत्वपूर्ण साबित होंगे। कृषि, पशुपालन, मत्स्य, मधुमक्खी पालन के साथ ही हर्बल खेती के लिए किए गए प्रावधानों से उत्तराखण्ड को काफी फायदा होने जा रहा है। इससे विशेष तौर पर हमारी पर्वतीय क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था और स्थानीय आजीविका में परिवर्तन आएगा।

पर्वतीय खेती का विकास, राज्य सरकार की नीति का प्रमुख अंग रहा है। उत्तराखंड राज्य, जड़ी बूटी का प्रमुख केंद्र है। हर्बल खेती के लिए चार हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की जा रही है। इसमें मुख्यत: गंगा नदी के किनारे हर्बल कॉरिडोर विकसित करने की योजना है। 

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