पीयूष जैन मामले में आधारहीन खबरों का किया खंडन

ब्यूरो,

गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय(डीजीजीआई) ने पीयूष जैन मामले में आधारहीन खबरों का किया खंडन

कन्नौज की इत्र बनाने की कंपनी मेसर्स ओडोकेम इंडस्ट्रीज की गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय(डीजीजीआई) द्वारा जो जांच की जा रही है –उसके संदर्भ में मीडिया के कुछ वर्गों में ऐसी रिपोर्टेस सामने आई हैं कि—- डीजीजीआई ने बरामद नकदी को विनिर्माण इकाई के कारोबार के रूप में मानने का फैसला किया है,और उसके मुताबिक आगे की प्रकिया बढाने का निर्णय लिया है।साथ ही कुछ मीडिया घरानों ने यह भी खबर चलाई है कि श्री पीयूष जैन ने अपनी देनदारी स्वीकार करने के बाद गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय(डीजीजीआई) की स्वीकृति से कर बकाया के रूप में कुल 52 करोड़ रुपये जमा किए हैं।
इस तरह की खबरे पूरी तरह से काल्पनिक और आधारहीन है. डीजीजीआई इसका खंडन करती है.
इस संदर्भ में स्पष्ट किया जाता है कि श्री पीयूष जैन के घर और फैक्ट्री परिसर से जितना भी कैस (नकदी )इकट्ठा हुआ है,उसको जांच चलने तक भारतीय स्टेट बैंक की सुरक्षित अभिरक्षा में केस संपत्ति के रूप में रखा गया है। मेसर्स ओडोकेम इंडस्ट्रीज द्वारा जब्त की गई राशि से उनकी कर देनदारियों के निर्वहन के लिए कोई कर बकाया जमा नहीं किया गया है और उनकी कर देनदारियों का निर्धारण किया जाना अभी बाकी है। इसके अलावा, श्री पीयूष जैन द्वारा किए गए स्वैच्छिक प्रस्तुतियां चल रही जांच का विषय हैं.विभाग द्वारा जब्त किये गये कैस का श्रोत, मेसर्स ओडोकेम इंडस्ट्रीज पर कुल देनदारीं- तलाशी के दौरान विभिन्न परिसरों से एकत्र किए गए साक्ष्यों के मूल्यांकन और जांच के परिणाम पर आधारित होंगी. अपराध की स्वैच्छिक स्वीकृति और रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर, श्री पीयूष जैन को सीजीएसटी अधिनियम की धारा 132 के तहत निर्धारित अपराधों के लिए 26.12.2021 को गिरफ्तार किया गया था और 27.12.2021 को सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था। माननीय न्यायालय ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

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