वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार की तरफ से ऐलान किए गए 20 लाख करोड़ की दूसरी किश्त के बारे में गुरुववार को ऐलान करते हुए कहा कि सरकार ने गरीबों के खाते में सबसे पहले मदद पहुंचाई। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान वित्तमंत्री ने कहा कि किसानों ने 4 लाख करोड़ का सस्ता कर्ज लिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि 3 करोड़ किसानों ने 4.22 लाख करोड़ रुपये के लोन पर लोन मोराटोरियम की सुविधा ली है। इसके अलावा ब्याज पर छूट, फसलों पर इंसेंटिव को 31 मई 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं। इन पर लोन लिमिट 25 करोड़ होगी।
राशन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार 3,500 करोड़ रुपये का प्रावधान कराने जा रही है। जो नेशनल फूड सेक्योरिटी में नहीं आते, या जिनको राज्यों का राशन कार्ड नहीं मिल पाता, उनके लिए यह प्रावधान किया गया है। प्रति व्यक्ति 5-5 किलो गेहूं या चावल मिलेंगे। साथ में प्रति फैमिली एक किलो चना अगले दो महीनों तक मिलेगा। इसको लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। एक देश, एक राशन कार्ड से लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में मार्च और अप्रैल महीने में 63 लाख ऋण मंजूर किए गए, जो करीब 86 हजार 600 करोड़ रुपए का है। गांव में कॉओपरेटिव बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें मार्च 2020 में नाबार्ड ने 29 हजार 500 करोड़ रुपए की रिफाइनैसिंग की है। रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 4200 करोड़ रुपये मार्च 2020 तक दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि 3 महीने में 86 हजार करोड़ के ऋण दिए गए हैं। इसके साथ ही, राज्यों ने किसानों को 6700 करोड़ की मदद की है।
निर्मला ने कहा कि कृषि उत्पादों के जरिए राज्य सरकारों ने किसानों की मदद की है। निर्मला ने कहा कि शहरी गरीबों के लिए 11 हजार करोड़ की मदद दी गई है। शहरी गरीबों को शेल्टर और खाना मुहैया कराया गया है।
श्रमिकों पर खास ध्यान, बढ़ाई गई न्यूनतम मजदूरी
निर्मला ने प्रवासी मजदूरों को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जाएगा। मजदूरों के लिए एसडीआरएफ की इजाजत दी गई है। आरआडीएफ के तहत 4200 करोड़ रुपये की मदद दी गई है।
अब तक मनरेगा पर 10 करोड़ खर्च किया गया है। 2.33 करोड़ मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया गया है। श्रमिकों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी में भेदभाव खत्म करेंगे। मजदूरों की दिहाड़ी 182 रुपये से बढ़कार 202 रुपये कर दी गई है। मजदूरों की सालाना स्वास्थ्य जांच अनिवार्य होगी। गांव के आधारभूत ढांचे के लिए 4200 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा।
गांव के विकास के लिए 4200 करोड़ रुपये की राशि
केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कॉर्पोरेटिव बैंक और रिजनल रुरल बैंक को मार्च 2020 नाबार्ड ने 29,500 करोड़ के रिफाइनेंस का प्रावधान किया। ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए राज्यों को मार्च में 4200 करोड़ की रुरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड राशि दी गई। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों की खरीद के लिए 6700 करोड़ की वर्किंग कैपिटल भी राज्यों को उपलब्ध करवाई गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि तीन करोड़ छोटे और सीमांत किसानों के लिए मोदी सरकार 30,000 करोड़ की अतिरिक्त सुविधा लेकर आई है। नाबार्ड जो 90,000 करोड़ रुपये देता है, यह उसके अतिरिक्त है। यह स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक, डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक, आदि के माध्यम से राज्यों को दिया जाएगा।
रोजगार के लिए 6,000 करोड़ रुपये के CAMPA फंड्स का उपयोग होगा। विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में, आदिवासी क्षेत्रों में, इन योजनाओं का लाभ उठाया जा सकेगा।
सरकार सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन तय करने का प्रयास कर रही है। न्यूनतम वेतन का लाभ लगभग 30 फीसदी कर्मचारी उठा पाते हैं। इसमें राज्यों के बीच न्यूनतम वेतन में अंतर को खत्म किया जाएगा। इसे वैधानिक रूप दिया जाएगा। सभी मजदूरों को नियुक्ति पत्र मिलेंगे और साल में एक बार हेल्थ चेकअप होगा। असंगठित क्षेत्र को सोशल सेक्योरिटी स्कीम का लाभ मिलेगा। मजदूरों के लिए ईएसआईसी सुविधा को लागू किया जाएगा। महिलाओं को अगर रात्रि में काम करना पड़ता है, तो उनके लिए अलग-अलग तरह के सेफगार्ड लाए जाएंगे।
हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए मिडल इनकम ग्रुप, जिनकी आया छह लाख से 18 लाख रुपये है, उनके लिए 70,000 करोड़ रुपये का बढ़ावा देने वाली एक योजना लेकर आए हैं। क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम (CLSS), जो हमने 31 मार्च 2020 तक बढ़ाई थी, जिसका लाभ 3.3 लाख मध्यम वर्ग के परिवारों को मिला था, उस योजना की तिथि मार्च 2021 तक बढ़ा दी गई है। इससे ढाई लाख से ज्यादा परिवारों को लाभ मिलेगा और 70,000 करोड़ का कुल निवेश आएगा, जिससे रियल एस्टेट से जुड़े सेक्टर्स (स्टील, सीमेंट, आदि) को भी बढ़ावा मिलेगा और लाखों लोगों को मजदूरी के अवसर मिलेंगे।
रेहड़ी लगाने वाले, पटरी पर सामान बेचने वाले, घरों में काम करने वाले श्रमिक साथियों के लिए 5,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट फैसिलिटी लेकर आए हैं। प्रति व्यक्ति को 10,000 रुपये तक की सुविधा मिल सकती है। इसको एक महीने के अंदल लॉन्च कर दिया जाएगा। डिजिटल पेमेंट करने वालों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा। उन्हें आने वाले समय में 10,000 के बजाय ज्यादा पैसा मिल सकता है। वे अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं। 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को इसका लाभ मिलेगा।
मुद्रा शिशु लोन के माध्यम से लगभग तीन करोड़ लोगों को लाभ मिलने वाला है, जो 1,500 करोड़ रुपये के करीब होगा। उनकी ब्याज दर में सरकार दो फीसदी की छूट दे रही है। इसका खर्चा मोदी सरकार उठाएगी। गरीब से गरीब लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
प्रवासी मजदूर और शहरी गरीबों को कम कीमत पर रहने की सुविधा मिल पाए, इस बड़ी योजना का संकल्प लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कम कीमत वाले किराए के घर आने वाले समय में मिलेंगे। सरकार मौजूदा बने हुए घरों को भी इसमें शामिल करेगी। इसके लिए सरकार उद्योगपतियों और राज्य सरकारों को प्रेरित करेगी, ताकि वो अपने राज्य में काम करने वाले मजदूरों के लिए रहने की व्यवस्था बनाएं।