चुनावी सीजन में पराये हो चुके नेताओं की घर वापसी नहीं चाहती कांग्रेस

ब्यूरो,

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के तेवर अलग हैं। एक के बाद एक कई चुनाव हारने के बावजूद पार्टी घर वापसी को लेकर सतर्क है। इन चुनाव के जरिए कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले नेताओं के लिए विधायकों और नेताओं के लिए लाइन खींच देना चाहती है। यही वजह है कि गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में पार्टी अपने ही नेताओं की घर वापसी नहीं चाहती।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सत्ता के लिए पार्टी छोड़ने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं के मुकाबले कांग्रेस उन नेताओं और विधायकों पर भरोसा करेगी, जिन्होंने मुश्किल हालात में पार्टी का साथ दिया। विचारधारा के साथ कोई समझौता नहीं किया। यही वजह है कि गोवा और मणिपुर में पार्टी संगठन से जुड़े नए लोगों पर दांव लगाएगी।

गोवा चुनाव से जुड़े पार्टी नेता ने कहा कि कई विधायक वापसी करना चाहते हैं, पर हमारा रुख साफ है। उनके लिए पार्टी में कोई जगह नहीं है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने दौरे के दौरान स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने पार्टी छोड़ दी है, उनके लिए कोई स्थान नहीं है। यह बात सिर्फ गोवा ही नहीं, बल्कि मणिपुर और उत्तराखंड पर भी लागू होती है।

वर्ष 2017 के गोवा चुनाव में कांग्रेस 17 विधायकों के साथ विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। वह बहुमत से सिर्फ तीन सीट पीछे थी। इसके बावजूद पार्टी सरकार नहीं बना पाई। पिछले साढ़े चार साल में 13 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। कांग्रेस के पास गोवा में अब सिर्फ चार विधायक ही बचे हैं। मणिपुर में भी पार्टी के एक दर्जन से ज्यादा विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं।

उत्तराखंड में वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य की घर वापसी के बाद प्रदेश कांग्रेस के कई नेताओं ने अपनी नाराजगी जताई थी। प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी को बाहर से आने वाले नेताओं के बजाय उन विधायकों और नेताओं पर भरोसा करना चाहिए, जो उसके साथ खड़े रहे। यही वजह है कि उत्तराखंड में अब कई दूसरे नेताओं की घर वापसी टल गई है।

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