लॉकडाउन में सबसे ज्यादा बदलाव शिक्षा जगत में देखने को मिला है। स्कूल के समय में लॉकडाउन होने से शिक्षा विशेषज्ञों ने ऑनलाइन की ओर रुख कर लिया है। इसके बाद पूरी व्यवस्था ही बदली नजर आ रही है। प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालय तक ऑनलाइन शिक्षा देने लगे हैं। ब्लैकबोर्ड का स्थान लैपटॉप और मोबाइल फोन की स्क्रीन ने ले लिया है। अभी तक ऑनलाइन पढ़ाई एक सपोर्ट के रूप में रूप में देखी जा रही था। मौजूदा समय में अनिवार्य अंग बन गई है। इस समय नगर के सभी स्कूल चाहे निजी हों या सरकारी, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, कोचिंग संस्थान ऑनलाइन पढ़ाई की राह पर चल पड़े हैं। विभिन्न संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ने वाले छात्रों की संख्या देखी जाए तो यह ढाई से तीन लाख के बीच है। सरकारी आंकड़े इससे अधिक हो सकते हैं।
एप बने पढ़ाई में मददगार
ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कई प्रकार के साधन इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसमें एप सबसे बड़े मददगार बने हैं। इसमें सबसे अधिक लोकप्रिय जूम एप है। इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट, गूगल क्लास,दीक्षा, स्कूल मित्र, आदि शामिल हैं। व्हाट्सएप का भी सर्वाधिक प्रयोग हो रहा है। ई-बुक्स और यूट्यूब का भी सहारा लिया जा रहा है। परंपरागत शिक्षा व्यवस्था में ऑनलाइन का इतना महत्व अभी तक नहीं था। काशी विद्यापीठ के प्रो. बंशीधर पांडेय का कहना है कि कई शिक्षक अभी तक कंप्यूटर, लैपटॉप आदि का प्रयोग नहीं करते थे। वह तकनीक से दूरी बनाए हुए थे। मजबूरी में ही सही इस व्यवस्था को अपना लिया है। हालांकि कुछ ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले कई बच्चों का भी मानना है कि क्लास रूम टीचिंग का अलग महत्व है। उनकी जिज्ञासाएं शांत नहीं हो रही। आज प्रश्न पूछेंगे तो कल जवाब मिलेगा।