काशी जैसे शहर के लोगों के जीने का अंदाज भी लाकडाउन ने बदल दिया। एक गली से दूसरी गली, एक घाट से दूसरे घाट और एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले घूमने वाले लोग घरों में कैद हो गए हैं। लोगों को एक दूसरे से संपर्क रखने के लिये डिजिटल की ओर रुख कर लिए। अब जुड़ने का एकमात्र सहारा बचा है।
डॉक्टर को दिखाना है तो टेलीमेडिसिन का सहारा है।
बीएचयू में ओपीडी टेलिमेडिसिन के सहारे चल रही है। बुक स्टाल पर नहीं जा पाए तो ई-बुक्स को डाउनलोड भी कर लिया। कई लोगों ने अपने मोबाइल में मजेदार वीडियो गेम डाउनलोड किया। अपने को फिट बनाए रखने के लिए फिटनेस के कई एप ने भी मोबाइल में जगह बना ली है। कैश पेमेंट की जगह डिजिटल पेमेंट ने ले लिया। यहां तक कि बच्चों ने सोशल मीडिया पर अपने मां-बाप के अकाउंट भी खोल दिया। जिससे वह अपना समय आसानी से काट सकते हैं।
पूजा-पाठ भी ऑनलाइन हो गया है। अगर किसी को कोई अच्छा व्यंजन बनाना है तो पड़ोसन ने पूछने के बजाय लोग बनाने की विधि यू ट्यूब पर सर्च कर रहे हैं। आर्य महिला डिग्री कालेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डा.अनामिका सिंह का कहना है कि बदलाव तो आया है। मगर कितने दिन तक रहेगा और कितने लोगों ने इसे स्वाभाविक तौर पर स्वीकार किया है, यह बता पाना मुश्किल है।