ब्यूरो नेटवर्क
लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान का सरकारी बंगला एक बार फिर खबरो में आ गया है और इस बार इसकी वजह है बंगले में लगाई गई रामविलास पासवान की मूर्ति। बता दें कि 12 जनपथ में मौजूद बंगले के मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक सामने लगी इस प्रतिमा की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस बीच ये अटकलें भी हैं कि कही पासवान के परिवार वाले इस मूर्ति का इस्तेमाल बंगले को अपने पास रखने के लिए तो नहीं कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि मूर्ति लगाने के बाद परिवार बंगले को पासवान का मेमोरियल तो नहीं बनाना चाहते हैं।
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने पहले ही बेदखली के आदेश पारित कर पासवान की पत्नी और बेटे को बंगला खाली करने को कहा है। यह बंगला अब नए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बंगला आवंटित किया है।
सूत्रों ने कहा कि बंगले के परिसर के एक कार्यालय में प्रवेश द्वार पर ‘रामविलास पासवान स्मृति’ का लिखा है, जिसे देखकर लगता है कि उनका परिवार इस बंगले को लोजपा नेता का स्मारक स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. पासवान लगभग तीन दशकों से इस बंगले में रहते थे। हालांकि पासवान के बेटे चिराग ने इस सूचना की पुष्टि नहीं की है।
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि वैष्णव को आखिरी बार बंगला आवंटित किए जाने के बाद आवंटन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। चिराग, उनकी मां और परिवार के अन्य सदस्यों के घर खाली करने के बाद रेल मंत्री बंगले में शिफ्ट हो सकते हैं।
अधिकारियों ने कहा कि आवंटन रद्द होने के बाद किसी भी सरकारी आवास में किसी भी तरह के बदलाव या बदलाव की अनुमति नहीं है। पासवान का लंबी बीमारी के कारण 8 अक्टूबर को निधन हो गया था और ऐसी खबरें थीं कि चिराग अपने पिता की पहली पुण्यतिथि तक बंगला रखने के इच्छुक थे।
बीच में ऐसे कयास लग रहे थे कि अपने पिता रामविलास पासवान की पहली पुण्यतिथि तक चिराग पासवान इसी बंगले में रहना चाहते हैं। हालांकि रामविलास पासवान की मूर्ति और बोर्ड लगाने से ऐसे कयास लगने लगे हैं कि कहीं अपने पिता की स्मृति में चिराग पासवान बंगले को एक स्मृति स्थल या मेमोरियल तो नहीं बनवाना चाहते हैं।
सूत्रों ने कहा कि 2014 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार किसी भी बंगले के स्मारक में तब्दील होने की कोई संभावना नहीं है।