ब्यूरो नेटवर्क
मुगलों की शनो-शौकत के बारे में आपने जरूर सुना होगा। अगर आप इसे देखना और महसूस करना चाहते हैं तो दिल्ली के इन महल और हवेलियों में घूमने जा सकते हैं। यहां की हर एक चीज देखने के बाद आपको भी यहां मुगल कालीन समय का अंदाजा लग सकता है। इन महल और हवेलियां में एक बार घूमने जरूर जा सकते हैं। वहीं इन महलों को लेकर कई तरह की बातें भी हैं, आज जानते दिल्ली के महल और हवेलियां के बारे में।
गालिब की हवेली
बल्लीमारान में गली कासिम जन में स्थित इस हवेली में मशहूर शायर मिर्जा गालिब रहा करते थे। हवेली में गालिब की चीजों को देख उनकी जीवनशैली का अंदाजा लगाया जा सकता है। गालिब की इस हवेली को आप कभी भी घूमने जा सकते हैं।
जफर महल
ये मुगलों के आखिरी महल में से एक है। इसे अखबर शाह द्वितीय ने 19वी सदी में बनवाया था। इसे बनवाने के तुरंत बाद ही आखिरी मुगल शासक बहादुरशाह जफर ने इसे दोबारा बनवाया था, जिनका नाम इसी महल के नाम से जुड़ा था। इस महल में कई शाही कब्र भी शामिल हैं।
जीनत महल
फतेहपुरी मस्जिद से कुछ ही दूरी पर है जीनत महल। इस महल को बहादुर शाह जफर ने खास तौर ने अपनी जीनत महल के लिए बनवाया था। कहा जाता है कि जीनत हुस्न की मलिका थीं और जब वह महल में जाती थीं तो उनका स्वागत शहनाई की धुनों से किया जाता था। हालांकि इसकी देखरेख पर लंबे समय तक ध्यान नहीं दिया गया था। ऐसे में इस महल से जुड़ी कई बाते हैं।
जहाज महल
जहाज महल महरौली के पानी की टंकी के पास है। बारिश के दिनों में पानी की टंकी के पानी में जब यह महल देखा जाता है, तो ऐसा लगता है कि झील में जहाज चल रहा हो। इस महल की छत पर अलग-अलग रंगों के टाइल्स लगे हुए हैं। वहीं महल में बलुआ पत्थर के खंबों पर भी डिजाइन है।
चुन्नामल की हवेली
इसे लाला चुन्नालाल ने बनवाया था, यह हवेली चांदनी चौक की सबसे जानी मानी इमारतों में से एक है। इस हवेली में 128 कमरे हैं। बाहर से भले ही हवेली गंदी नजर आती है, लेकिन अंदर से आप इसकी खूबसूरती देख सकते हैं।