ब्यूरो,
जातिगत जनगणना का मामला हो या पिछले वर्ष लागू कृषि कानून का मसला, दोनों मुद्दों पर वैचारिक मतभेद के बावजूद जनता दल (यूनाइटेड) यूपी विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ ही मिलकर लड़ेगा। कितनी सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होगा यह सब दोनों दल के आलाकमान तय करेंगे।
इस बारे में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ प्रारम्भिक दौर की बातचीत हो चुकी है। दोनों दलों के आलाकमान के बीच हुई बातचीत के आधार पर ही जदयू ने तैयारी शुरू कर दी है।
फिलहाल, जदयू के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश इकाई से पार्टी की जनाधार वाली सीटों की सूची के साथ-साथ उस पर चुनाव लड़ने के इच्छुक पार्टी पदाधिकारियों व सदस्यों की सूची मांगी है। राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश इकाई से यह भी कहा है कि जिन सीटों पर जदयू चुनाव लड़ना चाहती है, वहां के जातीय समीकरणों के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर पार्टी की पकड़ और सम्भावित प्रत्याशियों की छवि के बारे में भी अभी से पूरी रिपोर्ट भेजें।
इस बात की जानकारी भी मांगी है कि बिहार से लगे यूपी के सीमावर्ती जिलों या सीटों पर क्या बिहार में पार्टी की सरकार का कोई प्रभाव है। अगर है तो क्या वहां के मुद्दे जैसे शराबबन्दी, महिला आरक्षण, अति पिछड़ा आयोग व महादलित आयोग का गठन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को यूपी में भी लागू करने की घोषणा का पार्टी को लाभ मिलेगा!
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह पटेल की मानें तो जदयू का प्रदेश के बड़े हिस्से में व्यापक जनाधार है। उन्होंने कहा, ‘बिहार सीमा से लगे करीब 65 से 70 सीटों पर हमारी स्थिति बहुत अच्छी है। लोग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन से खासे प्रभावित हैं और चाहते हैं कि पड़ोसी राज्य बिहार की तरह ही यूपी में भी पूर्ण शराबबन्दी होनी चाहिए और वहां की तरह यहां भी महिलाओं को आरक्षण व अधिकार हासिल होनी चाहिए।’
जदयू व भाजपा के बीच जातिगत जनगणना व कृषि कानून के मुद्दे पर दोनों दलों के बीच मतभेद हैं। जदयू भाजपा की इच्छा के विपरीत जातिगत जनगणना की पक्षधर है। साथ ही पार्टी संसद में समर्थन के बावजूद कृषि कानून के मुद्दे पर भाजपा से मतैक्य नहीं रखती। जदयू का कहना है कि भाजपा को कृषि कानून के मसले पर किसानों से बातचीत कर हल निकालना चाहिए।