क्या मानसून में कोरोना वायरस का खतरा बढ़ सकता है? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कोविड-19 की दूसरी लहर ने हम सभी को बुरी तरह डरा दिया है। उस पर तीसरी लहर का अंदेशा, हमें शांत नहीं बैठने दे रहा। मानसून की शुरूआत के साथ ही जहां संक्रामक बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है, वहीं कोरोनावायरस को लेकर भी तरह -तरह की सूचनाएं प्रसारित हो रहीं हैं। आइए जानें विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं।
भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून बारिश लेकर आता है। इस दौरान संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। मानसून के ठीक बाद संक्रामक बीमारियों का प्रकोप सबसे ज़्यादा दिखाई देता है। इनमें इन्फ्लूएंजा, दस्त, हैजा, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, टाइफाइड और सांस की बीमारियां शामिल हैं।
वायरस से होने वाला कोई भी संक्रमण मुख्य रूप से तीन वजहों से फैलता है, ये हैं- मौसमी बदलाव, मानवीय व्यवहार का तरीका और वायरस का स्वभाव। कोविड-19 सांस से जुड़ी बीमारी है और इसके लक्षण इन्फ्लूएंजा फ्लू जैसे ही होते हैं।
मानसून के महीनों में मौसमी फ्लू के मामले बढ़ जाते हैं। पहले हुए कुछ अध्ययनों से पता चला है कि इन्फ्लूएंजा और सार्स वायरस कम तापमान और नमी में फैलते हैं।
समझिए कैसे फैलता है कोई भी वायरस
वायरस से होने वाली बीमारी का फैलाव तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करता है, ये हैं – पर्यावरण में आने वाला मौसमी बदलाव (तापमान, नमी, धूप), मानवीय व्यवहार का तरीका और वायरस का स्वभाव (जैसे इसकी संक्रामकता, पैथोजेनिसिटी और सर्वाइवल)।
इन्फ्लूएंजा से इसकी तुलना इसलिए की जा रही है क्योंकि इन्फ्लूएंजा की तरह कोविड -19 भी सांस से जुड़ी बीमारी है। हालांकि दोनों वायरसों के प्रतिकृति बनाने और मनुष्यों को प्रभावित करने के तरीके में महत्वपूर्ण अंतर हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
फ्रैंकफर्ट के गोएथ विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ताओं का कहना है, “हमें बरसात के मौसम, यूवीआई और कोविड-19 से हुई मौतों के बीच महत्वपूर्ण संबंध मिला है।”
उन्होंने पाया कि मानसून में कोविड-19 से रोजाना होने वाली मौतों की दर में 13% की गिरावट आई। भारत में कोविड से रोजाना हो रही मौतों की वृद्धि दर से तुलना करें, तो पता चलता है कि मानसून शुरू होने के पहले दो हफ्तों में इस वृद्धि दर में 60% की गिरावट आई।
हर बार बढ़ना जरूरी नहीं
कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में एक शोध प्रकाशित हुआ। इस शोध में दुनिया भर की 144 जगहों को शामिल किया गया था। शोध से पता चला कि तापमान और अक्षांश जैसे मापदंडों का कोविड-19 के फैलाव से कोई संबंध नहीं है। साथ ही शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्हें नमी और वायरस का फैलाव कम होने के बीच बेहुत कमजोर संबंध मिला।
निष्कर्ष यही निकलता है कि भारत में कोविड-19 से रोजाना होने वाली मौतों की वृद्धि दर पर मानसून स्वतंत्र रूप से नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके बावजूद आपको लापरवाह नहीं होना है।
अपनी और अपने अपनों की सुरक्षा आपके हाथ मे हैं। इसलिए स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें।