राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान, एम०डी०ए० / आई०डी०ए० 2021

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान, एम०डी०ए० / आई०डी०ए० 2021

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 12 जुलाई से 26 जुलाई तक, कोविड-19 के दिशा-नर्देशों का पालन करते हुए, शुरू होगा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आई डी ए) कार्यक्रम

(वाराणसी– 10 जुलाई 2021)- फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु वाराणसी में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी), मास्क और हाथों की साफ़-सफाई का अनुपालन करते हुए समुदाय को फाइलेरिया हाथीपांव रोग से बचाने के लिए शुरू किये जा रहे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आई०डी०ए०) कार्यक्रम के सम्बन्ध में मीडिया की सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने हेतु जनपद के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं यथा डॉ०निशांत, डॉ० करन परिख, श्रीमती सरिता मिश्रा एवं सी० एफ० ए० आर० (सीफार) के साथ समन्वय स्थापित करते हुए, मीडिया सहयोगियों के साथ आज वाराणसी में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया | इस कार्यशाला में जनपद के मीडिया सहयोगियों ने भी भाग लिया |
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ० वी०बी० सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला | उन्होंने कहा कि जनपद फाइलेरिया, कालाजार रोग आदि के उन्मूलन के लिए अत्यंत संवेदनशील है और इसके लिए रणनीति बनाकर गतिविधियाँ संपादित की जा रही हैं | उन्होंने कहा कि माह जुलाई मैं संचारी रोग नियंत्रण अभियान/ दस्तक अभियान के साथ दिनांक 12 जुलाई से 26 जुलाई तक जनपद में कुल ३,३२० टीमें लाभार्थियों को फाइलेरिया निरोधी दवा सेवन कार्य करायेंगी जिनके पर्यवेक्षण हेतु कुल ६६२ सुपरवाइजर कार्य करेंगे I
कार्यशाला के बढ़ते क्रम में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (वी०बी०डी०)/ नोडल डॉ० एस०एस० कनौजिया, ने जानकारी दी कि,भारत को वर्ष 2021 तक फाइलेरिया से उन्मूलन की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, कोविड-19 महामारी के दौरान भी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल को जारी रखने के महत्व को स्वीकार करते हुए, वाराणसी ने , भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोविड-19 के मानकों को ध्यान में रखते हुए, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आईडीए) कार्यक्रम आगामी १२ जुलाई २०२१ से सभी ग्रामीण/ शहरी ब्लॉक में शुरू करने का निर्णय लिया है |उन्होंने बताया कि एमडीए गतिविधियों का संचालन कोविड-19 के मानकों का पालन करते हुए किया जाएगा, जिसमें हाथ की स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी) शामिल हैं। उन्होंने सूचित किया कि इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी. ,अल्बंडाज़ोल एवं आईवरमेकटिन की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में, दवा का वितरण नहीं किया जायेगा | 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है|
डॉ० एस० एस० कनौजिया ने यह भी बताया कि रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं | सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं | और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि मौजूद हैं, दवा खाने के बाद सेऐसे लक्षण उत्पन्न होते हैं |
डॉ० अमित कुमार सिंह, बायोलॉजिस्ट/ प्रभारी, फाइलेरिया नियंत्रण इकाई, ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडिमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। यह एक घातक रोग है, हालांकि प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दी गयी दवाएं खाने से, इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल भी खिलाई जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है जो सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है। देश के फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं-
1.  मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आईडीए) – एंटी फाइलेरिया दवा यानि डी.ई.सी. ,अल्बंडाजोलऔर आईवरमेक्टिन की वर्ष में एक खुराक द्वारा फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में संक्रमण और बीमारी की रोकथाम।
2.  मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम-फाइलेरिया या हाथीपांव से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं इलाज।
डॉ० करन परिख, क्षेत्रीय नोडल अधिकारी, पाथ संस्था, ने बताया कि एमडीए अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधानों के सहयोग से सोशल मोबिलाइजेशन से सम्बंधित गतिविधियांअत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली को और अधिक मज़बूत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की तिथि के बारे में समुदाय में जागरूकता फ़ैलाने के लिए आशा और आंगनवाडी के माध्यम से घर-घर जाकर, साथ ही स्थानीय स्कूलों के बच्चों के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा सकता है।
डॉ०निशांत, ज़ोनल कोऑर्डिनेटर, विश्व स्वास्थ्य संगठन, ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में कार्य कर रही सभी संस्थाओं द्वारा, सरकार के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है समुदाय एवं मीडिया के सहयोग से यह कार्यक्रम अवश्य सफल होगा |
श्री एस०सी०पाण्डे, जिला मलेरिया अधिकारी ने कहा कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त है क्योंकि समुदाय में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अत्यंत शीघ्रता से फैलती है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त 12 जिलों में स्थानीय मीडिया से भी समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है ताकि, मीडिया के माध्यम से कार्यक्रम के संबंध में लोगों तक उचित और महत्त्वपूर्ण जानकारियां पहुँच सकें, इसके साथ ही उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित और ऑफलाइन जुड़े मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि जिलों से फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित मरीजों की मानवीय दृष्टिकोण से दर्शाती हुई कहानियां प्रकाशित करें।
श्री हरिवंश यादव, जिला स्वस्थ्य सूचना अशिकारी, ने मीडिया सहयोगियों से संवाद करते हुए कहा कि, मीडिया द्वारा, समाज के हर वर्ग तक स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी कार्यक्रम के मुख्य सन्देश और महत्वपूर्ण जानकारियां बहुत आसानी से पहुँच जाती हैं, इसीलिए, मीडिया द्वारा फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन और इसके सकारात्मक परिणामों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने की बहुत अधिक आवश्यकता है ताकि, लोग स्वयं को और अपने परिवार को इस घातक बीमारी से सुरक्षित रख सकें | फाइलेरिया का पूर्ण रूप से उन्मूलन हो और आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ भविष्य मिल सके |
अंत में, डॉ० एस०एस० कनौजिया ने कहा कि मीडिया की भूमिका , सरकार द्वारा चलाये जा रहे, समस्त कार्यक्रम के सफल किर्यान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है | उन्होंने,मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे आगामी १२जुलाई २०२१ से प्रारंभ होने वाले एमडीए अभियान के दौरान, समाचारों और मीडिया कवरेज के माध्यम से लोगों कोलिम्फैटिक फाइलेरियासिस (हांथीपांव, हाइड्रोसील आदि) से बचाव के लिए दवा खाने के लिए जागरूक करें |

सुरक्षित दवा, भरोसा स्वास्थ्य का

जनसंख्या
ग्रामीण: 17,63,786
शहरी: 23,90,415
कुल: 41,54,201

ग्रामीण
कुल टीम: 1,909
कुल ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर: 3,818
कुल सुपरवाइजर: 380

शहरी
कुलटीम: 1,411
कुलड्रगएडमिनिस्ट्रेटर: 2,822
कुलसुपरवाइजर: 282

कुल टीम: 3,320 कुल ड्रग एड मिनिस्ट्रेटर: 6,640 कुल सुपरवाइजर: 662

Note-एक टीम एक दिवस के कार्य में कुल १७-१८ घर (८० से ९० लोग लाभार्थी ) दवा का सेवन करायेगी।

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