शोध भी अब बता रहे हैं कि छुरी-चम्मच से खाने की बजाए हाथों का इस्तेमाल भोजन का स्वाद (eating food with hands makes it delicious) बढ़ा देता है. साथ ही इसके और भी कई फायदे हैं.
जब व्यंजनों की बात चले तो दुनिया के कई देशों के बेहतरीन खाने के साथ ही भारतीय भोजन का भी जिक्र होता है. खास मसालों से पके भारतीय खाने को खाने का तरीका भी बाकी दुनिया से अलग है. एक ओर जहां पश्चिमी देशों में चम्मच-कांटे से खाने का चलन है तो हमारे यहां हाथों से खाना आम बात है. पहले इस तरीके की काफी आलोचना होती थी कि इससे संक्रमण का खतरा रहता है लेकिन अब कई स्टडीज में साफ हुआ है कि हाथों से खाने पर भोजन का स्वाद बढ़ जाता है.
अमेरिका में हुई जानने की कोशिश
न्यूयॉर्क की स्टीवन्स यूनिवर्सिटी में एक स्टडी के तहत लगभग 50 लोगों पर प्रयोग हुआ. इस दौरान आधे प्रतिभागियों के हाथ में चीज़ दी गई और आधों को उसे चम्मच से खाना था. स्टडी में निकलकर आया कि जिन लोगों ने हाथों से चीज़ खाई थी, वे उसे बेहद ज्यादा स्वादिष्ट बता रहे थे, जबकि बाकियों के लिए ये एक औसत खाना था.
हाथ से खाने वाले भरपेट खाते हैं
इस दौरान ये भी दिखा कि जो लोग हाथों से खाते हैं, उनकी खुराक ज्यादा होती है, जबकि कांटे-चम्मच से खाने पर लोग आधा-अधूरा खाकर भी पेट भरा हुआ महसूस करने लगते हैं. इसके पीछे ये कारण था कि भोजन को हाथों से स्पर्श करने पर दिमाग के सेंसरी ऑर्गन सक्रिय हो जाते हैं और खाने के स्वाद का ज्यादा बेहतर ढंग से अंदाजा हो पाता है.
डेढ़ सौ लोगों के समूह पर भी प्रयोग
इसी तरह का एक और प्रयोग किया गया, जिसमें 145 लोग शामिल थे. इसे दो समूहों में बांटा गया और पहले समूह को खाने पर कंट्रोल करने को कहा गया ताकि वे फिट रह सकें. वहीं दूसरे समूह को कुछ भी खाने की छूट दे दी गई. सारे ही लोगों को एक प्लास्टिक के कप में कई डोनट दिए गए. इसमें से कुछ को हाथ से डोनट खाने को कहा गया, जबकि कुछ को चम्मच से. साथ ही शोध में शामिल लोगों को डोनट का स्वाद और टेक्शचर जैसी बातों पर भी कमेंट करना था.
नतीजा मिलता-जुलता रहा. हाथ से डोनट खाने वालों को डोनट ज्यादा पसंद आया, जबकि चम्मच से खाने वालों ने इसके औसत, बल्कि कई बार खराब स्वाद की भी शिकायत की. इसके अलावा ये भी देखा गया कि हाथ से खाने पर लोगों को अपनी भूख का ज्यादा अच्छी तरह अनुमान हुआ और वे सही डायट ले सके.
हाथ से खाने के भी कई नियम-कायदे
भारत में हाथ से खाने का चलन तो है लेकिन इसमें भी देश के अलग-अलग हिस्सों में कई अलग नियम हैं. जैसे उत्तर भारत में खाते हुए अंगुलियों का ही इस्तेमाल किया जाता है, यहां पूरी हथेली से खाना अच्छा नहीं माना जाता. वहीं दक्षिण में हथेली और अंगुलियों दोनों का ही उपयोग आम है. इसके अलावा दाहिने हाथ से खाने को कहा जाता है. माना जाता है कि बायां हाथ अशुद्ध होता है. ये चलन लगभग पूरे देश में है. पारंपरिक खाने के अलावा बहुत कम ही चीजें हैं, जिनके लिए चम्मच का उपयोग होता है, जैसे तरल पदार्थ, दही-खीर या आइसक्रीम.
केले के पत्तों पर खाने का फायदा
वैसे दक्षिण भारत में न केवल हाथ से खाने का चलन है, बल्कि यहां केले के पत्तों पर खाया जाता है. आज भी वहां बहुत से घरों समेत रेस्त्रां में भी ये बात आम है. इस चलन के पीछे वैज्ञानिक आधार भी है, जो अब जाकर पता चल रहा है. दरअसल केले के पत्तों में पॉलीफेनॉल्स होता है. ये प्राकृतिक एंटी-ऑक्सिडेंट है, जो कई बीमारियों से बचाव करता है. केले के पत्ते में एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं जो कि खाने में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं. इसके अलावा जो सबसे बड़ा फायदा है, वो ये है कि केले के पत्ते में भोजन करने पर हमारे शरीर में कोई रासायनिक तत्व नहीं जाता है, जो कि प्लास्टिक प्लेट या चम्मचों में आमतौर पर होता है.