जौनपुर जेल में जैमर नहीं होने से अपराधियों की चांदी
जौनपुर। जौनपुर जिला जेल में जैमर लगाने का प्रस्ताव नहीं है जबकि श्रमजीवी एक्सप्रेस बम विस्फोट के दो आरोपित बांग्लादेशी आतंकियों, कुख्यात नक्सली व दूसरे जिलों के कुछ अपराधियों को रखे जाने से यह जेल सूबे के सबसे संवेदनशील कारागारों में शुमार है। हालांकि जेल प्रशासन का दावा है कि फिलहाल जेल के भीतर एक भी मोबाइल फोन सक्रिय नहीं है। दुरुपयोग रोकने के पर्याप्त प्रबंध भी हैं, ऐसे में अब जैमर नए जेल में ही लगेगा। जेलों में निरुद्ध अपराधियों के मोबाइल फोन का दुरुपयोग करने की बात कोई नई नहीं है। जिला कारागार में निरुद्ध एक अपराधी की ओर से करीब दो वर्ष पूर्व व्यापारी से रंगदारी मांग जाने की घटना सामने आई थी। तब प्रमुखता से यह खबर छपने पर जेल प्रशासन ने उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। अभी भी चोरी-छिपे या जुगाड़ से कुछ शातिर अपराधी जेल से ही मोबाइल फोन के जरिए अपनों के संपर्क में रहते हैं। हालांकि जेल प्रशासन का दावा है कि निरुद्ध कोई भी बंदी मोबाइल फोन का उपयोग नहीं कर रहा है। सूत्रों के अनुसार जेल में जैमर लगाने के लिए करीब साढ़े चार साल पहले बजट आया था। तब जेल प्रशासन की सुस्ती के चलते यह नहीं लगाया जा सका। लग न पाने के कारण बजट पड़ोसी जिले आजमगढ़ जेल में ट्रांसफर हो गया था। जेल प्रशासन का कहना है कि अब जैमर जौनपुर-मीरजापुर रोड पर प्रस्तावित नए कारागार के बनने पर ही लगेगा। नए जेल के लिए कुद्दूपुर, रसैना व इंदरिया गांवों में चिह्नित की गई जमीन के लगभग आधे हिस्से का बैनामा राज्यपाल के पक्ष में कराया जा चुका है।