जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकी समूह हिज्बुल मुजाहिदीन का स्वघोषित प्रमुख रियाज नायकू बुधवार को सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया। सुरक्षा बलों को नायकू की आठ सालों से तलाश थी। वह अपने ही गांव में घिरने के बाद सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया। नायकू के मारे जाने की खबर के बाद सुरक्षाबलों पर पत्थराबाजी की घटनाए भी सामने आई हैं। अवंतिपुरा में भीड़ ने सुरक्षाबल की बख्तरबंद गाड़ी को घेरकर पत्थरबाजी की और बख्तरबंद गाड़ी पर चढ़ कर नुकसान पहुंचाया है। यहां तक की पत्थरबाज बख्तरबंद गाड़ी पर चढ़ गए और लाठी डंडों से उस पर मारते रहे।
अधिकारियों ने बताया कि आज दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में दो मुठभेड़ हुईं। एक मुठभेड़ अवंतीपोरा के बेगपुरा गांव में और दूसरी शारशाली गांव में हुई। शारशाली गांव में मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए जिनकी अभी पहचान नहीं की जा सकी है। नायकू की मौत सुरक्षा बलों के लिए बड़ी उपलब्धि है। पिछले दिनों ही हंदवाड़ा में दो सैन्य अधिकारी..कर्नल आशुतोष शर्मा ओर मेजर अनुज सूद सहित आठ सुरक्षा कर्मी आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। हाल के वर्षों में सेना को हुआ यह सबसे बड़ा नुकसान है। प्रतिबंधित आतंकवादी समूह हिज्बुल मुजाहिदीन के ऑपरेशनल कमांडर रियाज नायकू को पुलवामा के बेगपुरा गांव में घेर लिया गया था। मुठभेड़ में वह मारा गया। उसके साथी ने भागने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा बलों के हाथों वह भी मारा गया। 32 वर्षीय नायकू पर 12 लाख रुपये का इनाम था और तीन बार वह पुलिस के हाथों से बच निकला था। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस बार पूरी सावधानी बरती गई और यह भी ध्यान रखा गया कि अन्य किसी तरह का नुकसान न होने पाए। अभियान की जानकारी देते हुए अधिकरियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने मंगलवार को नायकू के ठिकाने का पता लगा किया। लेकिन तत्काल अभियान शुरू करने के बजाय सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी की और सारे रास्ते बंद कर दिए ताकि तीन बार भाग चुका नायकू इस बार बचने न पाए। अधिकारियों ने बताया कि सेना की इकाइयों ने जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूहों के साथ मिल कर तड़के कार्रवाई शुरू की। नायकू और उसके साथी ने गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद मुठभेड़ होने लगी।
8 साल से थी तलाश थीनायकू की
सीआरपीएफ और पुलिस बल ने लोगों को मुठभेड़ स्थल से दूर रखते हुए बाहरी घेरा बनाया। दोपहर को एक आतंकवादी सुरक्षा बलों पर अंधाधुंध गोली चलाते हुए मकान से बाहर आया और भागने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। तत्काल यह पता नहीं चल पाया था कि मारा गया आतंकवादी नायकू था या उसका साथी। पुलिस के एक प्रवक्ता ने सुबह बताया था कि मुठभेड़ में एक शीर्ष आतंकवादी कमांडर के साथ उसके साथी को घेर लिया गया है लेकिन उन्होंने उसकी पहचान नहीं बताई थी। बाद में अधिकारियों ने बताया कि यह नायकू था जिसकी वह आठ वर्ष से तलाश कर रहे थे। जुलाई 2016 में घाटी में आतंकवाद का चेहरा रहे बुरहान वानी की मौत के बाद नायकू घाटी में आतंकवादी समूह का प्रमुख बन गया।