यूपी के प्रयागराज में एक बेटे ने अपने ही अपहरण का ऐसा ड्रामा रचा कि उसके बूढ़े पिता जमीन बेचने पर मजबूर हो गए। बेटे ने अपने अपहरण की झूठी कहानी रच पिता से फिरौती में 30 लाख रुपए की मांग की थी। गनीमत रही कि पुलिस ने सही वक्त पर पूरे मामले का खुलासा कर दिया और ड्रामा रचने वाला बेटा गिरफ्तार कर लिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार हेमबहादुर ने रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर कई लोगों लाखों रुपए लिए थे। नौकरी नहीं मिलने पर लोगों ने तगादा करना शुरू कर दिया। पहले तो हेम बहादुर ने बहाने बनाकर उन्हें भरसक टाला लेकिन जब कई लोग अपने रुपयों के लिए अड़ गए तो उसने अपने ही अपहरण का प्लान बना डाला। इस प्लान के तहत हेम बहादुर लखनऊ चला गया। उसने वहीं से अपनी पत्नी और एक रिश्तेदार को एक अज्ञात नंबर से फिरौती के लिए संदेश भेजा। संदेश में उसने पिता को लिखा कि यदि वे हेम बहादुर को जिंदा देखना चाहते हैं, तो 30 लाख रुपये दे दें।
साथ ही चेतावनी भी दी कि यदि पुलिस या किसी राजनेता के पास गए तो हेमबहादुर की लाश भी नहीं मिलेगी। यह संदेश पाकर हेमबहादुर के परिवार में कोहराम मच गया। बूढ़े पिता को कोई चारा न सूझा तो उन्होंने 30 लाख रुपयों के लिए अपनी जमीन बेचने का फैसला कर लिया। लेकिन फिर कुछ सोचकर वह पुलिस के पास पहुंच गए। पुलिस ने जानकारी मिलते ही केस की तहकीकात शुरू कर दी। शुरुआती तहकीकात में ही पुलिस को मामला संदिग्ध लगा। फिर कुछ सुराग मिले जिनका पीछा करते हुए क्राइम ब्रांच और लालगंज पुलिस ने हेम बहादुर को नया पुरवा नहर पुल के पास एक रोडवेज बस में पकड़ लिया।
पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) दिनेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि हेमबहादुर के पिता राम जियन वर्मा ने 4 मार्च को लालगंज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। तब उन्होंने बेटे के लापता होने की सूचना दी थी। साथ ही उन्होंने यह संदेह भी जताया था कि उनके बेटे का अपहरण रुपयों के लिए किया गया है। लालगंज पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 364 के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने इस सूचना पर काम करना शुरू कर दिया। जल्द ही सर्विलेंस टीम को पता चला कि छह मार्च को हेम बहादुर लखनऊ से रायबरेली की ओर जा रहा है। तब क्राइम ब्रांच और लालगंज पुलिस की एक संयुक्त टीम ने रायबरेली-लखनऊ राजमार्ग पर उसे ट्रैक किया। हेम बहादुर रोडवेज की एक बस से पकड़ा गया।
पुलिस के सामने हेम बहादुर ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। बताया कि रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर उसने 12 लोगों से कई लाख रुपये लिए थे। उन लोगों ने जब रुपए मांगने शुरू कर दिए तो उसने खुद के अपहरण की साजिश रच डाली। हेमबहादुर ने यह भी स्वीकार किया कि चार मार्च को वह लखनऊ चला गया था। वहीं से उसने अपनी पत्नी और एक रिश्तेदार को एक अज्ञात नंबर से मैसेज भेजकर फिरौती मांगी। उसे लगा था कि अपहरण की सूचना पाते ही उसके पिता जमीन बेचकर 30 लाख रुपए दे देंगे। यदि रुपए मिल जाते तो वह लोगों के रुपाए लौटा देता और फिर भूमिगत हो जाता।