भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियां मालदीव में वांटेड अपराधियों को (जिनका भारत में किए गए अपराध से संबंध होगा) समन या जांच के लिए वारंट सक्षम कोर्ट के माध्यम से भेज सकती हैं। हालांकि ये प्रक्रिया गृह मंत्रालय के जरिये ही आगे बढ़ाई जाएगी। भारत और मालदीव के बीच परस्पर कानूनी सहायता संधि- एमलैट के तहत साल पर पहले हुए समझौते को लागू करने के लिए नियम अधिसूचित करने की जानकारी मालदीव को दी गई है।
गृह मंत्रालय ने दोनों देशों के बीच हुए एक समझौते के अनुसार मालदीव में अभियुक्तों को समन जारी करने के लिए भारतीय अदालतों के लिए नियमों को अधिसूचित किया है। सूत्रों ने बताया कि उन नियमों को अधिसूचित किया गया है, जिनके तहत भारतीय पुलिस या किसी केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा मालदीव में किसी भी आरोपी को भारतीय अदालतों के माध्यम से समन या तलाशी वारंट भेजा जा सकता है।
नियमों में कहा गया है, केंद्र सरकार द्वारा मालदीव गणराज्य में अपराधियों को समन भेजने या आपराधिक मामलों के संबंध में वारंट और सर्च वारंट की व्यवस्था केंद्र सरकार द्वारा की गई है। समन की प्रक्रिया गृह मंत्रालय के माध्यम से कराई जानी चाहिए। नियमों में यह भी कहा गया है कि इसी तरह मालदीव की अदालत से प्राप्त समन, वारंट, दस्तावेज या अन्य दस्तावेज भी एमएचए को भेज दी जानी चाहिए। आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की (1974 की 2) की धारा 105 की उप-धारा (2) के प्रावधान के अनुसार, केंद्र सरकार ने इस संबंध में दिशा निर्देश तय किए हैं। गृह मंत्रालय में इस मामले को आंतरिक सुरक्षा- 2 विभाग देखेगा।
भारत और मालदीव ने पहली बार 3 सितंबर, 2019 को आपराधिक मामलों के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) पर हस्ताक्षर किए थे। भारत ने 42 अन्य देशों के साथ इस तरह की संधि व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए हैं। सूत्रों के मुताबिक नवम्बर के आखिरी हफ्ते में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल श्रीलंका की यात्रा पर गए थे। वहां भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बात हुई थी। माना जा रहा है कि इसी यात्रा के दौरान भारत और मालदीव ने द्विपक्षीय वार्ता में परस्पर कानूनी सहायता संधि को लागू करने की जरूरत पर बल दिया था।