मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में गुरुवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा पारित आदेशों के पालन की समीक्षा की गई। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गंगा नदी के आसपास सॉलिड और अन्य वेस्ट की डंपिंग न की जाए। बैठक में कृषि, नगर विकास, ग्राम्य विकास, नमामि गंगे, जल निगम सहित संबंधित अन्य विभाग शामिल हुए।
मुख्य सचिव को बैठक में बताया गया कि एनजीटी के आदेश पर उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा पाइप पेयजल परियोजना के तहत हिंडन नदी के दोआबा क्षेत्र में भू-जल प्रभावित 148 गांवों में से 103 गांवों में स्वच्छ जलापूर्ति का काम पूरा कर लिया गया है। शेष 45 गांवों में स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का काम 31 दिसंबर 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मुजफ्फरनगर में 22 एमएलडी और बुढ़ाना में 10 एमएलडी एसटीपी की निविदा प्रक्रिया पूरी होने के बाद मुजफ्फरनगर में 22 एमएलडी एसटीपी पर बाउंड्रीवाल का काम शुरू कर दिया गया है।
इसके अलावा सहारनपुर में 93.6 एमएलडी एसटीपी की डीपीआर नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) नई दिल्ली के अनुमोदन व धनराशि देने की मांग की गई है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दोषी उद्योगों पर 9.40 करोड़ रुपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई गई है, जिसमें 3.75 करोड़ रुपये वसूली की गई।
मुख्य सचिव ने कहा कि एनजीटी के आदेशों का पालन किया जाए। इसके साथ ही शेष सभी काम समय से पूरे करने के लिए समय-सारिणी बनाकर काम किए जाएं। गंगा के समीपवर्ती चिह्नित 25 जिलों में बायो-डायवर्सिटी पार्क की स्थापना का काम समयबद्ध ढंग से पूरा कराया जाए। रिहायशी और कृषि भूमि पर बनी औद्योगिक इकाइयों की समस्याओं के संबंध में जल्द कार्यवाही की जाए। रामसार की अंतर्राष्ट्रीय महत्व की सात वेटलेंड को संरक्षित करने की कार्यवाही शीघ्र पूरी कराई जाए। इसके अतिरिक्त ध्वनि व वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु अतिरिक्त कदम उठाने पर भी चर्चा की गई।