मसाला किंग के नाम से मशहूर एमडीएच (MDH) के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati) का आज सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे। बताया जा रहा है कि धर्मपाल गुलाटी ने दिल्ली के माता चंदन देवी हॉस्पिटल में 3 दिसंबर की सुबह 6 बजे आखिरी सांस ली। मसाला किंग महाशय धर्मपाल गुलाटी ने कभी एक छोटी सी दूकान से मसालों का कारोबार शुरू कर एक बड़ा ब्रांड खड़ा कर दिया। आइए जानते हैं उनके जीवन सफर के बारे में..
महाशय धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati) का जन्म 27 मार्च 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। 1933 में 5 वी कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने पढ़ना पढाई छोड़ दिया और 1937 में पिता का हाथ बंटाते हुए एक छोटा सा व्यापार प्रारम्भ कर दिया। इस बीच उन्होंने साबुन का कारोबार किया और नौकरी भी की। इस दौरान कपड़े, चावल आदि का भी कारोबार किया लेकिन कोई कारोबार नहीं टिका। फिर उन्होने अपने पारिवारिक कारोबार मसालों का कारोबार शुरू किया।
महाशियां दी हट्टी (एमडीएच) देश में मसालों का बड़ा ब्रांड है। वह मसालों के मैन्युफैक्चर, डिस्ट्रिब्यूटर और एक्सपोर्टर हैं। एमडीएच की स्थापना साल 1919 में सियालकोट (पाकिस्तान) में महाशय चुन्नी लाल ने की थी। तब वह मसालों कि एक छोटी दुकान चलाते थे। थोड़े ही समय में वह काफी फेमस हो गए थे और उन्हें वहां ‘डेगी मिर्च वाले के नाम से लोग जानने लगे।
जब देश का बंटवारा किया गया तो वह भारत लौट आये और 27 सितम्बर 1947 को वह दिल्ली पहुँचे। उन दिनों उनके जेब में महज 1500 रुपये ही थे। इन पैसों से उन्होंने 650 रुपये का टांगा खरीद लिया। जिसे वह न्यू दिल्ली स्टेशन से लेकर कुतब रोड और उसके आस पास चलाते थे। मन में पारिवारिक व्यवसाय को प्ररम्भ करने का जूनून ख़त्म नहीं हुआ था। अपने पिता के कारोबार को आगे बढ़ाने के बारे में सोचा। व्यवसाय को प्रारम्भ करने के लिए छोटे लकड़ी के खोके ख़रीद कर उन्होंने इस व्यवसाय को प्रारम्भ किया।
उन्होंने बाद मेंउन्होंने करोल बाग के अजमल खां रोड पर ‘महाशियां दी हट्टी ऑफ सियालकोट (डेगी मिर्च वाले)’ के नाम से दुकान खोल ली। इसके बाद उन्हें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। आज महाशियां दी हट्टी (एमडीएच) देश में मसालों का बड़ा ब्रांड है। वह मसालों के मैन्युफैक्चर, डिस्ट्रिब्यूटर और एक्सपोर्टर हैं।