भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज संदीप गुप्ता ने पशुपालन फर्जीवाड़े में निलंबित डीआईजी अरविंद सेन की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा उनके खिलाफ इस मामले में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने से इंकार के बाद उन्होंने अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी।
विशेष जज ने अपने आदेश में कहा है कि यह मामला अत्यंत गम्भीर प्रकृति का है व आर्थिक अपराध से सम्बंधित है। मामले के तथ्यों व परिस्थितियों तथा प्रथम दृष्टया अभियुक्त की भूमिका को दृष्टिगत रखते हुए उसे अग्रिम जमानत प्रदान करने का कोई औचित्य नहीं है।
फौजदारी के जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी के मुताबिक इस मामले को निपटाने के लिए अभियुक्त अरविंद सेन को पैसे दिए गए थे। अभियुक्त द्वारा संचालित बैंक अकाउंट में जो धनराशि मुम्बई से अंतरित की गई है, वह एक अन्य अभियुक्त आशीष राय के बयान से मेल खाती है। इसका अभियुक्त की ओर से कोई जवाब या स्पष्टीकरण भी नहीं दिया जा सका है। जिससे अभियुक्त की वर्तमान मामले में संलिप्तता व षणयंत्र में उसकी भूमिका को मजबूती प्रदान करती है।
13 जून, 2020 को इस मामले की एफआईआर इंदौर के एक व्यापारी मंजीत भाटिया ने हजरतंगज कोतवाली में दर्ज कराई थी। इस मामले में 10 अभियुक्तों को नामजद किया गया था। विवेचना में अन्य अभियुक्तों के नाम सामने आए। इस मामले में एसीपी गोमतीनगर श्वेता श्रीवास्तव 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। इसके अलावा अब तक 12 आरोपी जेल जा चुके हैं।