नई दिल्ली, देश में कोरोना महामारी के चलते टैक्स में बढ़ोतरी करने के सुझावों वाली फोर्स रिपोर्ट के मामले में तीन वरिष्ठ अधिकारियों को उनके पद से हटा दिया गया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानि सीबीडीटी के आधिकारिक सूत्रों ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया है कि इन अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र भी बनाया गया है और उन्हें आरोपपत्र में लिखे आरोपों पर 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।
तीनों अधिकारियों को सेंट्रल सिविल सर्विसेज नियम के उल्लंघन के तहत आरोपपत्र जारी किया गया है। सीबीडीटी के मुताबिक इन अधिकारियों ने फोर्स नाम से टैक्स बढ़ाने के प्रस्तावों पर रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। इस रिपोर्ट में वेल्थ टैक्स, कोरोना सरचार्ज जैसे टैक्स लगाने की वकालत की गई थी। विभाग का ये भी मानना है कि इस रिपोर्ट के जरिए टैक्स कानूनों को लेकर मौजूदा आर्थिक हालात के बीच अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया था।
जूनियर अधिकारियों को गुमराह किया
सूत्रों ने ये भी बताया कि इस बारे में फिलहाल शुरुआती जांच के आधार पर अधिकारियों को आरोपपत्र जारी किया गया है। इन अधिकारियों में 1988 बैच के आईआरएस प्रशांत भूषण हैं जो आईआरएस एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी भी हैं। विभाग का कहना है कि इन्होंने बिना किसी अधिकार के रिपोर्ट जनता के बीच साझा किया है। एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी और डीओपीटी के डायरेक्टर प्रकाश दुबे जो 2001 बैच के आईआरएस हैं, इन्होंने बिना किसी अधिकार से जूनियर अधिकारियों से रिपोर्ट तैयार करने को कहा और रिपोर्ट को आईआरएस एसोसिएशन को भेज दी। साथ ही, 1989 बैच के आईआसएस संजय बहादुर पर भी जूनियर अधिकारियों को गुमराह कर उनसे रिपोर्ट तैयार कराने का आरोप है।
संवेदनशीलता को ताक पर रख रिपोर्ट साझा की
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ये सभी अधिकारी बेहद अनुभवी और प्रिंसिपल कमिशनर रैंक के थे और इन्होंने जूनियर अधिकारियों को बहकाने का काम किया। सरकार युवा अधिकारियों के सुझावों पर जरूर ध्यान देती अगर वो नियमों के तहत बनाए गए सिस्टम से आते। इस मामले में रिपोर्ट को देश के हालात की संवेदनशीलता को ताक पर रखकर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया गया, जिससे मौजूदा आर्थिक हालात में टैक्स नीतियों को लेकर खलबली मच गई।