कोरोना महामारी के कारण केंद्र सरकार के कर्मियों को तीन महीनों तक कुछ और भत्तों से वंचित रहना पड़ सकता है। डीए में बढ़ोत्तरी रोकने के बाद वित्त मंत्रालय के निर्देश पर मंत्रालय अब कई तरह के खर्च में भी कटौती की तैयारी में लगे हैं। इसके तहत कार्यालयों के खर्च में कटौती के साथ-साथ कर्मचारियों के एलटीसी, लीव इनकैसमेंट, मेडिकल बिलों (आपातकालीन को छोड़कर), वेतन संबंधी पुराने बकायों आदि पर भी कैंची चलने जा रही है।
वित्त मंत्रालय ने गत आठ अप्रैल को विभिन्न विभागों की तीन श्रेणियां बनाकर पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के लिख खर्च की सीमा तय कर दी थी। इसमें कुछ जरूरी विभागों को ए श्रेणी में रखा गया है जो पूर्व की भांति अपनी तय राशि खर्च कर सकते हैं। बी श्रेणी में शामिल विभाग पहली तिमाही में 20 फीसदी और सी में शामिल 15 फीसदी ही खर्च कर पाएंगे। जबकि तय नियमों के तहत विभाग तिमाही में आवंटित बजट की अधिकतम 27 फीसदी राशि तक खर्च कर सकते हैं। इन निर्देशों के बाद जब 20 अप्रैल से कार्यालय खुलने शुरू हुए तो खर्च में कमी के लिए दिशा-निर्देश तैयार होने लगे हैं।
कुछ महकमे जारी भी कर चुके हैं। इस बाबत बी श्रेणी के एक महकमे के आदेश को देखने पर पता चलता है कि एलटीसी, आपातकालीन चिकित्सा बिल, छुट्टियों के भुगतान को छोड़ बाकी बिलों का भुगतान, देश के भीतर की यात्राओं, वेतन संबंधी या दफ्तर की पुरानी देनदारियों, ओवर टाइम, प्रकाशन संबंधी खर्च, छोटे-मोटे कार्यों को रोकने के आदेश दिए गए हैं।
यह भी पढ़ें: कोरोना संकट के बीच दुनिया में भुखमरी की समस्या से निपटने की तैयारी
अगले कुछ दिनों में केंद्र सरकार के कई विभाग कटौती संबंधी आदेश जारी कर देंगे। जो विभाग सी श्रेणी में है, उन्हें खर्चों में और कटौती करनी होगी, क्योंकि वे पहली तिमाही में 15 फीसदी ही खर्च कर पाएंगे। आयुष, दवा, स्वास्थ्य विभाग, किसान कल्याण, रेलवे, उड्डयन, उपभोक्ता, ग्रामीण विकास, कपड़ा में कटौती नहीं 20 फीसदी खर्च करेंगे: उर्वरक, गृह, डाक, रक्षा, पेंशन, विदेश, राजस्व, पेंशन,पेट्रोलियम,सड़क परिवहन। 15 फीसदी खर्च करेंगे: परमाणु ऊर्जा, कोयला, संचार, वाणिज्य, रक्षा, संस्कृति, रक्षा, पशुपालन विभाग, शहरी विकास, एचआरडी, सूचना, प्रसारण, श्रम, पंचायती राज, नवीन ऊर्जा, पयार्वरण, सामाजिक न्याय, अंतरिक्ष विभाग आदि।