ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने फेसबुक और गूगल को समाचार लेखों से पैदा होने वाले रेवन्यू को साझा करने का आदेश दिया है। आदेश कहता है कि यह विश्व में उठाया गया पहला कदम है जो इन डिजिटल दिग्गजों के खिलाफ नियामक और राजनीतिक रूप से मोर्चा खोल रहा है। कोषाध्यक्ष जोश फ्राइडेनबर्ग ने शुक्रवार को कहा कि दोनों कंपनियों को पारंपरिक मीडिया से विश्वास के साथ रेवन्यू को लेकर बातचीत करनी होगी। उन्होंने कहा कि अगर कोई समझौता नहीं होता है तो एक बाध्यकारी मध्यस्थता प्रक्रिया होगी जिसे तोड़ने पर 70 लाख डॉलर जुर्माना लगाया जाएगा।
फ्राइडेनबर्ग ने कहा कि ये कदम ऑस्ट्रेलियाई मीडिया कंपनियों को भी कमाने की जगह देने के लिए उठाया गया है। ड्राफ्ट कोड अगस्त तक बनकर तैयार हो जाएगा। ये कोड अभी फेसबुक और गूगल के लिए ही होगा लेकिन आने वाले समय में अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए भी बढ़ाया जा सकता है। पारंपरिक मीडिया फर्में लंबे समय से शिकायत कर रहीं हैं कि डिजिटल प्लेटफॉर्म बिना उचित मुआवजा दिए उनके कंटेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं और ये डिजिटल प्लेटफॉर्म उनका शोषण कर रहे हैं। समाचार पत्रों और प्रसारकों ने नौकरियों में भी कटौती की है। उनकी इन शिकायतों को अब राजनीतिक समर्थन मिल गया है।
न्यायलयों में रेल्यूलेटर और इन्वेस्टर ये देख रहे हैं कि असल में ये कोड कैसे काम करेगा। अन्य बाज़ारों पर निगरानी रखने वालों को भी ऑस्ट्रेलिया से सीख लेनी चाहिए। ये कोड 21 सदी के दो सबसे सफल बिज़नेस मॉडल के लिए लाया गया है। ऑस्ट्रेलियाई प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष रॉड सिम्स ने अपने एक बयान में कहा, “समाचार मीडिया व्यवसायों और प्रमुख डिजिटल प्लेटफार्मों के बीच सौदेबाज़ी को लेकर एक बहुत बड़ा असंतुलन है।”हम एक ऐसा मॉडल चाहते हैं जो इस असंतुलन को ख़त्म करे और सामग्री के लिए उचित भुगतान करे। जिसमें भुगतान को लेकर बहस न की जाए और गूगल व फेसबुक पर ऑस्ट्रेलियाई समाचार की उपलब्धता भी कम न हो”