मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज दोपहर बाद अयोध्या जाएंगे। वह यहां आगामी 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए जाने वाले राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास और भूमि पूजन के कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा करेंगे।
इस मौके पर वह अयोध्या में चल रहे विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा अयोध्या के लिए कुछ नई परियोजनाओं की शुरुआत करने की घोषणा की संभावना का भी आंकलन करेंगे। अयोध्या जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम के लिए शुक्रवार से ही तैयारियां शुरू कर दीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि यह जनहित याचिका कल्पनाओं पर आधारित है। कोर्ट ने कहा कि कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने की आशंका का कोई आधार नहीं है। हालांकि कोर्ट ने भूमि पूजन कार्यक्रम के आयोजकों व राज्य सरकार से इस बात की अपेक्षा की है कि वे सोशल डिस्टेंसिंग व शारीरिक दूरी बनाए रखने की गाइडलाइन के अनुसार ही कार्यक्रम करेंगे।
चीफ जस्टिस ने लेटर पिटीशन को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करते हुए भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। मुम्बई के समाजसेवी साकेत गोखले की ओर से भेजी गई लेटर पीआईएल में कहा गया था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाला भूमि पूजन कोविड-19 के अनलॉक-2 की गाइडलाइन का उल्लंघन है। यह भी कहा गया था कि भूमि पूजन में लगभग 300 लोग एकत्र होंगे, जो कोविड-19 के नियमों के विपरीत होगा। लेटर पिटीशन के माध्यम से भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कहा गया था कि भूमि पूजन का कार्यक्रम होने से कोरोना के संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ेगा। यह भी कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र की गाइडलाइन में छूट नहीं दे सकती। एक तरफ कोरोना संक्रमण के कारण ही बकरीद पर सामूहिक नमाज़ की इजाजत नहीं दी गई है और दूसरी ओर सैकडों लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम होने जा रहा है।