ग्राउंड रिपोर्ट: लॉकडाउन में भी गुलजार रही सप्तसागर मंडी में पसरा सन्नाटा, मच्छोदरी से राजघाट तक सबसे ज्यादा हलचल

पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवा मंडी सप्तसागर में शनिवार की सुबह पूरी तरह सन्नाटा रहा। यहां के दवा कारोबारी के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद मंडी को तीन दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। जिस मंडी में सैकड़ों बाइकें हमेशा लगी रहती थी। पतली गली में ठीक से पैदल चलने की भी जगह नहीं होती थी, वहां सिर्फ पुलिस वालों और स्वास्थ्य विभाग के लोगों की अब हलचल है। मंडी को सेनेटाइज करने की तैयारियां हो रही है। 

सप्तसागर मंडी ऐसी जगह पर है जहां कई रास्तों से आया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है। लोगों को सप्तसागर मंडी से न गुजरने की सलाह दी गई है। मैदागिन बुलानाला मार्ग पर स्थित मंडी के मुख्य रास्ते पर पुलिस तैनात कर दी गई है। अंदर कर्णघंटा और हरिश्चंद इंटर कालेज के सामने से आने वाले रास्तों पर बैरिकेडिंग की गई है। नकास की ओर से आने वाली गलियों पर भी अवरोध रख दिया गया है। 

वाराणसी के आसपास के जिलों से जुड़े कुछ दुकानदार दवा मंडी सुबह पहुंच भी गए थे। उन्हें पहले से दवा कारोबारी के पॉजिटिव मिलने और मंडी के बंद होने की जानकारी नहीं थी। उन्हें यहां आने पर मालूम हुआ तो मंडी के आसपास ही रुककर चर्चा भी शुरू कर दी। पुलिस ने उन्हें समझाया और बिना रुके वापस लौटने को कहा। 

सप्तसागर मंडी के अंदर की गलियों में बड़ी संख्या में रिहाइशी इलाका भी है। पिछले कुछ साल में लोगों ने अपने टूटे फूटे मकानों को बिल्डरों को देकर कटरे का रूप दे दिया है। एक-एक घर में दस-दस तो कहीं कहीं उससे भी ज्यादा दुकानें बनी हुई हैं। नीचे के दो फ्लोर में दुकानें और ऊपर के हिस्सों में लोग रहते हैं। पूर्वांंचल की सबसे बड़ी मंडी होने के नाते बड़ी संख्या में यहां किराएदार भी रहते हैं। मंडी के कारण ही बनारस की अन्य गलियों की तुलना में इस गली में प्रापर्टी की कीमतें कई गुना ज्यादा हैं।

कहने को तो यहां साढ़े पांच सौ दुकानें हैं लेकिन इनके अलावा भी गलियों में चलती फिरती दुकानें हमेशा रहती हैं। दवा फैक्ट्रियों से कागजों पर माल आने के साथ ही बिना कागज भी माल आने के कारण बहुत ज्यादा लोगों का यहां से जुड़ाव है। बिना कागज आने वाली दवा को कट का माल कहा जाता है। मंडी में किराए पर रहने वाले और दुकानों पर काम करने वाले ऐसे सैकड़ों युवा हैं जो पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड में स्थित दवा फैक्ट्रियों और फैक्ट्रियों से जुडे दलालों के माध्यम से कट का माल सीधे लाकर यहां बेचते हैं।

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