नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने साफ किया है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ उनका कोई समझौता नहीं हुआ है। उन्होंने इस तरह के दावों को अफवाह बताते हुए कहा कि उन्होंने नवंबर में आम सम्मेलन आयोजित करने के प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष केपी शर्मा ओली के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है। शनिवार को ओली और प्रचंड के बीच चार घंटे तक चली बैठक में आम सम्मेलन को लेकर सहमित बनने की खबर आई थी। जिससे प्रचंड खेमे के बड़े नेता नाराज हो गए थे।
प्रचंड ने रविवार सुबह खुमल्टार में अपने निवास पर पार्टी के चार बड़े नेताओं माधव कुमार नेपाल, झाला नाथ खनाल, उपाध्यक्ष बामदेव गौतम और प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ को बुलाया और अपना पक्ष रखा। इन नेताओं ने कथित समझौते को लेकर असंतोष जाहिर किया था। प्रचंड के ताजा रुख से यह साफ हो गया है कि ओली की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। हालांकि, इसके लिए चीन की ओर से कापी जोर लगाया जा रहा है।
नेपाली न्यूज वेबसाइट कांतिपुर की एक खबर में बताया गया है कि प्रचंड ने साफ कर दिया है कि कल कोई समझौता नहीं हुआ है। एक नेता के अनुसार दहल ने आम सम्मेलन के प्रस्ताव को भ्रमित करने और स्टैंडिंग कमिटी की भावना को तोड़ने का प्रयास बताया। गौरतलब है कि स्टैडिंग कमिटी के 44 में से 30 सदस्यों ने ओली से पीएम और पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा मांगा था। ओली इससे इनकार करते आ रहे हैं।
दहल ने कहा है कि वे समिति के निर्णय के अनुसार सामूहिक रूप से आगे बढ़ेंगे। दहल के हवाले से बताया गया है कि समझौतो की बात महज अफवाह है। इस बीच रविवार दोपहर 3 बजे होने वाली स्टैंडिंग कमिटी की बैठक को टाल दिया गया है।
पार्टी के भीतर कलह को समाप्त करने के लिए ओली और प्रतिद्वंद्वी गुट की अगुवाई कर रहे प्रचंड को बातचीत के लिए और समय देने के वास्ते स्थायी समिति की बैठक रविवार तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। इससे पहले हुई बैठकों में ओली ने प्रचंड नीत धड़े की मांग पर एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने या इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था।