LAC पर विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच दूसरे चरण की कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता पूर्वी लद्दाख में चुशुल बॉर्डर पोस्ट पर संपन्न हुई है। चशुल के भारतीय इलाके में वार्ता कल सुबह 11:30 बजे शुरू हुई और 15 जुलाई को लगभग 2 बजे समाप्त हुई। यह बैठक 14.5 घंटे चली। इस मामले में जल्द बयान जारी हो सकता है। 5 जुलाई को भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि अजीत डोभाल और चीनी स्टेट काउंसिलर और विदेश मामलों के मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर गहराई से बातचीत की।
बातचीत के पहले चरण के बाद चीनी सैनिकों ने फिंगर 4 से फिंगर 5 क्षेत्र में कदम वापस ले लिए। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि वे पहले ही गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और पैट्रोलिंग प्वाइंट -15 सहित अन्य घर्षण बिंदुओं में लगभग दो किलोमीटर पीछे हट गए हैं। सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान आपसी मतभेद के कारण भारतीय पक्ष भी पीछे हट गया। रिक्त स्थानों को दोनों पक्षों द्वारा अस्थायी गैर-गश्त वाले क्षेत्र के रूप में माना जाएगा और उनके सैनिक वहां नहीं आएंगे।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख में एलएसी पर करीब दो महीने से टकराव के हालात बने हुए हैं। छह जून को हालांकि दोनों सेनाओं में पीछे हटने पर सहमति बन गई थी, लेकिन चीन उसका क्रियान्वयन नहीं कर रहा है। इसके चलते 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच खूनी झड़प भी हो चुकी है। इसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बात हुई है तथा 22 जून को सैन्य कमांडरों ने भी मैराथन बैठक की है। हर बार सहमति बनती है, लेकिन उसका क्रियान्वयन नहीं दिखाई देता है।
इससे पहले 2017 में भारतीय सैनिकों ने भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र डोकलाम में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को उस क्षेत्र में सड़क बनाने से रोका था। वह भारत के सामरिक हितों को प्रभावित कर सकता था। नई दिल्ली ने थिम्पू के दावे का ऐतिहासिक समर्थन किया था।