वैज्ञानिकों ने कैंसर को खत्मा करने वाला एक टीका तैयार किया है, जिसके आशाजनक परिणाम देखने को मिले हैं। वैज्ञानिक अपने प्रीक्लिनिकल अध्ययन के सफल परिणाम के बाद इंसानों में इस नए कैंसर के टीके का परीक्षण करने के लिए तैयार हैं।
यह नया टीका क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के सहयोग से द ट्रांसलेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक मैटर रिसर्च टीम द्वारा विकसित किया गया है। प्रमुख शोधकर्ता और एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टन रेडफोर्ड का कहना है कि इस नई वैक्सीन में विभिन्न प्रकार के ब्लड कैंसर और घातक कैंसर का इलाज करने की क्षमता है। यह कैंसर के टीकाकरण के लिए एक बड़ी सफलता है।
उन्होंने कहा, हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस टीके का इस्तेमाल बल्उ कैंसर जैसे माइलॉयड ल्यूकेमिया, गैर-हॉडग्किन लिंफोमा, मल्टीपल मायलोमा और पीडियाट्रिक ल्यूकेमिया के अलावा स्तन, फेफड़े, वृक्क, डिम्बग्रंथि और अग्नाशय कैंसर और ग्लियोब्लास्टोमा आदि के लिए किया जा सकता है।
रेडफोर्ड ने कहा, हमारा नया टीका ट्यूमर-विशिष्ट प्रोटीन के साथ जुड़े मानव एंटीबॉडी से बना है। हम मानव कोशिकाओं को लक्षित करने की इसकी क्षमता जांच रहे हैं। रेडफोर्ड का कहना है कि यह वैक्सीन मौजूदा कैंसर वैक्सीन की तुलना में कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है, जो पहले से ही नैदानिक परीक्षणों में कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने का संकेत दे चुकी हैं।
उन्होंने आगे कहा, दूसरे बात यह कि प्रोटोटाइप वैक्सीन प्रमुख ट्यूमर कोशिकाओं को लक्षित करता है। इससे संभावित दुष्प्रभावों को कम करते हुए उपचार की संभावित प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है। रेडफोर्ड ने कहा, हम अपने इस शोध को देखकर बहुत खुश हैं। हमें उम्मीद है कि सुरक्षित और प्रभावी कैंसर वैक्सीन खोजने की दिशा में हमारे निरंतर काम से भविष्य में कैंसर रोगियों को लाभ होगा। इस शोध के परिणाम जर्नल क्लिनिकल एंड ट्रांसलेशनल इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।
शोधकर्ताओं ने कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने के लिए एक फैटी एसिड पर अध्ययन किया। इसमें उन्होंने पाया कि डायहोमोगम्मा-लिनोलेनिक एसिड (डीजीएलए) नामक एक फैटी एसिड मानव कैंसर कोशिकाओं को मार सकता है। यह अध्ययन डेवलपमेंटल सेल नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने कहा, यह प्रयोग जानवरों पर करके देखा, जो सफलतापूर्वक रहा।
उन्होंने बताया कि डीजीएलए जानवरों में फेरोप्टोसिस को प्रेरित कर सकता है और वास्तव में यह इंसानों की कैंसर कोशिकाओं को प्रेरित करने में सक्षम है। फेरोटेपोसिस लोहे पर आधारित कोशिका मृत्यु का एक प्रकार है, जिसे हाल के वर्षों में खोजा गया था। यह रोग अनुसंधान के लिए केंद्र बिंदु बन गया है क्योंकि यह कई रोग प्रक्रियाओं से निकटता से संबंधित है।
वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर और लेखक जेनिफर वत्स ने कहा कि इस खोज के कई निहितार्थ हैं, जिसमें कैंसर के संभावित उपचार की दिशा में लिया गया कदम भी शामिल है। उन्होंने कहा, अगर आप डीजीएलए को कैंसर कोशिका में ठीक से पहुंचा सकते हैं, तो यह फेरोप्टोसिस को उत्तेजित कर सकता है और कैंसर ट्यूमर की कोशिकाओं को मार सकता है। डीजीएलए एक पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड है जो मानव शरीर में कम मात्रा में पाया जाता है और आहार में शायद ही कभी।