सिटी ऑफ नॉलेज’ बनने की ओर अग्रसर गोरखपुर बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गोरक्षपीठ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में सम्भावनाओं के नए द्वार खोलने वाली इस सौगात का ताना-बाना बुन लिया है। गोरखपुर को बहुत जल्द निजी क्षेत्र का पहला विश्वविद्यालय मिलने वाला है। बालापार रोड सोनबरसा में यह विवि तेजी से आकार ले रहा है। मंगलवार को इसका प्रस्ताव मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया।
करीब दो सौ एकड़ के विशाल कैंपस और अत्याधुनिक संसाधनों से लैस यह विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार चिकित्सा, प्रौद्योगिकी, कृषि, वाणिज्य, कला सहित ज्ञान की विभिन्न शाखाओं में उत्कृष्ट शिक्षा, अध्ययन और शोध का केंद्र बनेगा। यही नहीं यहां इंसेफेलाइटिस, काला जार जैसी बीमारियों, बाढ़-भूकम्प जैसी आपदाओं और भूगर्भ से अंतरिक्ष तक की वैज्ञानिक चुनौतियों के समाधान भी तलाशे जाएंगे। इससे परम्परागत विषयों से अलग हटकर चिकित्सा, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, वाणिज्य, प्रबंधन, कृषि, आयुर्वेद, योग, कला,संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट शिक्षा के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौजवानों का भटकाव खत्म होगा। उनके लिए सम्भावनाओं के नए द्वार खुलेंगे।
स्वतंत्र भारत में उत्तर प्रदेश के पहले राज्य विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विवि के बाद इस अंचल का यह तीसरा और निजी क्षेत्र का पहला विश्वविद्यालय होगा। इसका संचालन गोरक्षपीठ करेगी। संयोग ही है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना में भी इस पीठ की प्रमुख भूमिका रही थी। तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविन्द बल्लभ पंत से मिलकर न सिर्फ गोरखपुर विवि की नींव डाली बल्कि इसकी प्राभूत राशि के तौर पर अपने दो महाविद्यालय भी दे दिए थे। गोरखपुर विवि की स्थापना समिति में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सभी पदाधिकारी और सदस्य शामिल थे। करीब 70 साल बाद गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ यहां एक नए विश्वविद्यालय का शुभारंभ करने जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय में एमबीबीएस, बीएससी नर्सिंग, बीएएमएस, बी फार्मा, डी फार्मा, पैरामेडिकल कोर्सेस, बीएससी यौगिक,बीएससी आईटी सहित विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करने वाले दर्जनों पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की तैयारी 2012 से चल रही थी। इस वक्त भी सोनबरसा में जोर-शोर से निर्माण कार्य जारी है। प्रशासनिक भवन,आयुर्वेदिक चिकित्सालय, पंचकर्म, नर्सिंग कालेज, महिला छात्रावास का निर्माण हो चुका है। नर्सिंग कालेज पहले से संचालित है। पुरुष छात्रावास, अतिथि भवन, अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों के आवास आदि का काम भी अंतिम चरण में है।
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय आरोग्यधाम में चरणबद्ध ढंग से पाठ्यक्रमों की शुरुआत की जाएगी। पहले चरण में आयुर्वेद, योग और नर्सिंग से जुड़े पाठ्यक्रम शुरू होंगे। दूसरे चरण में फार्मेसी और पैरामेडिकल की पढ़ाई के साथ विशिष्ट अध्ययन और शोध का संस्थान शुरू होगा। तीसरे चरण में एलोपैथी जांच, परामर्श, उपचार और शोध के उत्कृष्ट संस्थान के साथ ही स्नातक, परास्नातक और उच्चस्तरीय पाठ्यक्रमों को शुरू किया जाएगा। चौथे चरण में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा से जुड़े विशिष्ट पाठ्यक्रम और पांचवें चरण में दूर-दराज के गांवों में आरोग्यता के विशिष्ट केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
2018 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 86वें संस्थापक सप्ताह समारोह में आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2032 तक गोरखपुर को ‘सिटी ऑफ़ नॉलेज’ के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य दिया था। 2032,महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का शताब्दी वर्ष होगा। परिषद के अंतर्गत 48 संस्थाएं संचालित हैं। विश्वविद्यालय में संचालित एमबीबीएस सहित विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस कम रखी जाएगी जिससे सामान्य परिवारों के छात्र भी उत्कृष्ट शिक्षा पा सकें। उन्होंने बताया कि परिनियमों के साथ विवि का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। मंजूरी मिलते ही विवि को प्रारम्भ कर दिया जाएगा।