उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) प्लाज्मा थैरेपी करने के लिए तैयार है। उसे इसके लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और ड्रग कंट्रोलर ने अनुमति दे दी है।
कोरोना संक्रमित मरीज के ठीक हो जाने के 28 दिन बाद उसके खून से प्लाज्मा निकाल कर दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को चढ़ाया जाएगा। केजीएमयू के डॉक्टरों को ठीक हो चुके मरीजों के 28 दिन पूरे होने का इंतजार है। केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. डी हिमांशु ने बताया कि कोरोना वायरस के मरीजों में प्लाज्मा थैरेपी से उपचार करने की शुरुआत नई दिल्ली में एक संक्रमित मरीज से की गई थी। अब उस मरीज की हालत में सुधार हो रहा है। दूसरा प्रयोग अब केजीएमयू में शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग से दूसरे अन्य जिलों में कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों की सूची मांगी गई है।
क्या है प्लाज्मा थैरेपी
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के ठीक होने पर कम से कम 28 दिन बाद उसके एंटीबॉडी तत्व दूसरे संक्रमित मरीज के शरीर में ट्रांसफर करने के लिए ठीक हुए मरीज का ब्लड प्लाज्मा चढ़ाया जाता है। इसका फायदा यह है कि संक्रमित मरीज की रोक प्रतिरोधक क्षमता काफी तेजी से बढ़ती है और उसका कोरोना संक्रमण जल्द ठीक होने की उम्मीद काफी हद तक बढ़ जाती है।
शोध: बोन मैरो की स्टेम सेल से ठीक होंगे कोरोना के मरीज
शारदा विश्वविद्यालय के दो डॉक्टरों ने ब्रोन मैरो की स्टेम सेल से कोरोना के इलाज का दावा किया है। गंभीर मरीज के बोन मैरो से ही उसका इलाज संभव है। इस पद्धति से इलाज के लिए अब आईसीएमआर से अनुमति मांगी जाएगी।