उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बस प्रकरण को लेकर प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक स्टंट करार दिया है। सीएम योगी कहा कि उन्होंने जो 1000 बसों की लिस्ट भेजी तो उनमें से 294 का पास या तो फिटनेस नहीं थी या इश्योंरेंस नहीं था और कुछ बसों का दोनों ही नहीं था। 67 ऐसे नंबर थे, जो न बस थी और न ही ऑटो। 68 नंबर ऐसे थे, जिनके नाम बस, ट्रक या कोई अन्य गाड़ी नहीं थी। 31 ऐसे नंबर थे, जिसका रजिस्ट्रेशन ऑटो के नाम पर था।
योगी आदित्यनाथ ने इसे कोरोना संकटकाल में मजदूरों के साथ भद्दा मजाक बताया। योगी आदित्यनाथ ने कहा, “इन सबके बावजूद उन्होंने कहा कि लिस्ट को लेकर गलती हो गई और हम बसें दे रहे हैं। कहा गया कि नोएडा और गाजियाबाद में बसें खड़ी हैं। हमने कहा कि गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी को बसें उपलब्ध करा दें, लेकिन वहां भी ये बस नहीं दे पाए। बाद में उन्होंने कहा कि हमारी बसें राजस्थान से लगी आगरा सीमा पर खड़ी हैं॰ जब वहां देखा गया तो वहां भी बसें नहीं थीं। हां, राजस्थान निगम की कुछ बसें जरूर थीं।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान निगम की बसें कांग्रेस पार्टी की निजी संपत्ति नहीं हो सकती हैं, वे राजस्थान सरकार और वहां की जनता की संपत्ति है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जब हमनें कोटा से बच्चों को निकालने के लिए बसें भेजीं तो वहां पता चला कि 12 हजार बच्चे हैं। पहले हमें बताया गया था कि साढ़े चार हजार बच्चे हैं, इसलिए उस हिसाब से बसें भेजी गई थीं। ज्यादा बच्चों के बारे में पता चलने के बाद हमने राजस्थान सरकार से संपर्क साधा। वहां की सरकार ने शुरू में असहमति के बाद हमें कुछ ही बसें दीं। इन बसों के लिए राजस्थान सरकार ने 55 लाख रुपये लिए। पहले तेल के लिए 19 लाख और बाद में किराए के नाम पर 36 लाख रुपये राजस्थान सरकार ने हमसे लिए।”
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के दौरान भी इन्होंने शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न किया। हमें इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी।