कोरोना के विस्फोट को जन्म देने वाले चीनी शहर वुहान के एक और डॉक्टर हु वेईफेंग की चार माह के लंबे संघर्ष के बाद मौत हो गई। 42 साल वेईफेंग चर्चा में थे, क्योंकि कोरोना संक्रमण के बाद उनके शरीर का रंग काला पड़ गया था। डॉक्टरों का कहना है कि एंटीबायोटिक की लंबी खुराक के कारण उनके शरीर का रंग बदला, हालांकि इस पर सवाल उठ रहे हैं।
वुहान सेंट्र्ल हॉस्पिटल में कार्यरत वेईफेंग 18 जनवरी को कोरोना की चपेट में आ गए थे। चीनी सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि वेईफेंग का संक्रमण के बाद कोई बयान क्यों नहीं आया। कोरोना से उबर चुके उनके साथी डॉक्टर भी इस पर क्यों चुप्पी साधे रहे।वेईफेंग के एक और साथी डॉक्टर यी फान का शरीर भी काला पड़ गया था। 39 दिनों तक जीवनरक्षक प्रणाली पर रहने के बाद फान स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। चीन के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के उप निदेशक प्रोफेसर डुआन जुन ने कहा कि फान और वेईफेंग को अंतिम विकल्प के तौर पर दी जाने वाली एंटीबायोटिक पॉलीमाइक्सिन बी दी गई थी, जिससे शरीर का रंग बदला। जुन का दावा है कि स्वस्थ हो रहे फान के शऱीर का रंग वापस लौट रहा है। उनका कहना है कि वेईफेंग की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी और 22 अप्रैल को ब्रेन हैमरेज के बाद उनकी हालत बिगड़ गई।
वेईफेंग वुहान में कोरोना के भयावह संक्रमण का खुलासा करने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग के दोस्त थे। महामारी का भंडाफोड़ करने वाले वेनलियांग को पुलिस और सरकारी एजेंसियों के गुस्से का सामना करना पड़ा था। अमेरिका और दूसरे देशों ने इसी को लेकर चीन पर बीमारी को लंबे समय तक छिपाने का आरोप लगाया था।
वेनलियांग की भी पिछले महीने रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। सुर्खियों में वुहान सेंट्रल हॉस्पिटलकोरोना के प्रकोप का भंडाफोड़ होने के बाद से ही सुर्खियों में रहे वुहान सेंट्रल हॉस्पिट में अब तक पांच डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। वेईफेंग और व्हिसलब्लोअर वेनलियांग के साथ डॉ. झु हेपिंग, डॉ.जियांग जुयेकिंग और मेई झोंगमिंग की भी मौत हो चुकी है। इसी अस्पताल के मैनेजर लिउ ली की भी मार्च में मौत हो चुकी है।
वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल के डॉक्टरों की मौत ऐसे वक्त हो रही हैं, जब खुलासा हुआ है कि चीन ने कोविड-19 के जीनोम को डिकोड करने के बावजूद हफ्तों तक जानकारी दूसरे देशों और डब्ल्यूएचओ से साझा नहीं की। 11 जनवरी को जीनोम कोड का डाटा देने के बाद दो हफ्तों तक उसने कुल मामलों और मौतों को छिपाए रखा, जिससे दूसरे देश खतरे का अंदाजा नहीं लगा पाए। इस दौरान वुहान से अमेरिका और यूरोप पहुंचे बहुत से लोगों के कारण संक्रमण बेकाबू हो गया। चीन इस कारण संयुक्त राष्ट्र की जांच का सामना भी कर रहा है।