नब्बे घंटे काम : सीईओ’ज का ‘विकसित भारत’

ब्यूरो,

नब्बे घंटे काम : सीईओ’ज का ‘विकसित भारत’

एलएंडटी के सीईओ एसएन सुब्रह्मण्यम ने कहा है कि कर्मचारियों को 90 घंटे काम करना चाहिए ! इससे पहले इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कर्मचारियों एक हफ्ते में 70 घंटे काम करने की वकालत की थी !
इन बयानों के बाद देश में कार्पोरेट सेक्टर में नयी बहस छिड़ गयी है !
सवाल है कि युवा कर्मचारी किसके लिए और किस कीमत पर नब्बे घंटे काम करें ! उनके काम के घंटों के अनुसार क्या पगार मिल रही है ! क्या काम के घंटों के अनुसार कर्मचारियों को पगार मिल रही है ?

वित्त वर्ष 2023-24 में एलएंडटी के सीईओ एसएन सुब्रह्मण्यम की कमाई 51.5 करोड़ रु. रही. यह एलएंडटी के कर्मचारियों की औसत तनख्वाह से लगभग 535 गुना ज्यादा है. कर्मचारियों का औसत वार्षिक वेतन 9.55 लाख रुपये ही था.

भारत में कंपनियों के सीईओ कर्मचारियों के कामकाज के घंटों की हर सीमा हटा देना चाहते हैं. पहले इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने वकालत की थी कि कर्मचारी एक हफ्ते में 70 घंटे काम करें. अब एलएंडटी के सीईओ एसएन सुब्रह्मण्यम ने कहा है कि कर्मचारियों को 90 घंटे काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनका वश चले, तो वे रविवार को भी कर्मचारियों को काम करने पर बुलाएंगे. फिर एक अजीब टिप्पणी कर बैठे कि घर पर बैठ कर कर्मचारी कब तक ‘पत्नियों को निहारते’ रहेंगे !

कुछ अन्य सीईओ’ज ने भी इस सुझाव का समर्थन किया है. सीईओ कर्मचारियों के अधिकारों को नहीं दिल से स्वीकार नहीं करते, यह तो उनके बात-व्यवहार से पहले भी जाहिर होता था.

लेकिन नया ट्रेंड यह है कि इससे इनकार को राष्ट्र निर्माण को जोड़ा जा रहा है. नारायण मूर्ति ने भी ऐसी बात कही थी. अब सुब्रह्मण्यम ने कहा है कि असाधारण लक्ष्य हासिल करने के लिए असाधारण प्रयास करने होते हैं- “विकसित भारत” बनाने के लिए जरूरी है कि कर्मचारी ऐसे प्रयास में शामिल हों। तो सीईओ’ज ने पॉलिटिकली करेक्ट होते हुए खुद को इकॉनमिकली समृद्ध होने की एक नई जुगाड़ लगाई है. ऐसा नहीं होता, तो साथ-साथ ही वे असाधारण प्रयास से हासिल लाभ के कर्मचारियों में बंटवारे की भी बात करते.

कर्मचारियों का औसत वार्षिक वेतन 9.55 लाख रुपये था. केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन उद्योगपतियों के सामने जाकर कर्मचारियों का वेतन ना बढ़ाने के लिए उन्हें फटकार लगा चुके हैं. नागेश्वरन ने एसोचैम की बैठक में कहा था कि कंपनियों का मुनाफा रिकॉर्ड स्तर पर है, जबकि कर्मचारियों की वास्तविक आय रूकी हुई है. क्या बेहतर नहीं होता कि सीईओ’ज इस विसंगति को सुधारने की दिशा में भी ‘असाधारण प्रयास’ करते ! चूंकि वे ऐसा करते हुए नहीं दिखते, इसलिए उनके ऐसे बयानों को लेकर उनके मकसदों पर उठाए जाने वाले सवालों को वाजिब ही कहा जाएगा.

यहां ये भी सवाल उठाया जा रहा कि क्या सिर्फ काम के घंटे बढ़ने चाहिए या उसकी गुणवत्ता में भी सुधार होना चाहिए !
नब्बे घंटे काम करने पर कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा ये भी विचारणीय प्रश्न है !

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