Alok Verma, Jaunpur Bueauro,
मेरे घर के आंगन में
भोर होते ही आती हैं चिड़िया
बहुत सारी चिड़िया
उनमें सबसे ज्यादा है गौरैया
उठते ही चींचीं करने लगती हैं
मैंने उनको ब्रेड के टुकड़े दिये
ब्रेड चिड़ियों को पसंद है
चोंच में भरकर उड़ती हैं वे
अपने घोसलों की ओर
अपने बच्चों को खिलाने के लिये
आखिर माँ हैं वे
माँ जो सृष्टि हैं
हाँ जो चिड़ियों को नही पसंद है
उसे छूती भी नही हैं वो
इस तरह अपनी नापसन्दगी का इजहार करती हैं वो
हम दोनों की बोली में बहुत फर्क है
पर उनकी हर बात समझने लगा हूँ मैं
इनकी अपनी दुनिया अपना परिवार है
पर कोई जात और धर्म मुझे नही दिखा इनके बीच
न कोई भेदभाव न कोई ऊंचनीच
कभी लड़ती भी नही हैं
न दंगा करती हैं
इन्हें भी रब ने बनाया है जिसने हमको बनाया
फिर ये फर्क क्यो है