आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,
पतन के रास्ते पर बढ़ता जा रहा देश का भविष्य: आशुतोष जायसवाल
जौनपुर। जनपद के समाजसेवी आशुतोष जायसवाल ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य एवं धरोहर होते हैं लेकिन सामाजिक कमजोरियों और सरकार की ढुलमुल व्यवस्था के चलते आज हमारी यह धरोहर लगातार पतन के रास्ते पर बढ़ती जा रही है। बाल अपराध की बढ़ती संख्या पूरे विश्व के लिये चिंता का विषय बनी हुई है जिस पर नीत नए-नए शोध हो रहे हैं। आज छोटे-छोटे बच्चों को शराब सिगरेट पीना, हल्की मादक दवाइयां लेना, गुप-चुप स्कूल से अचानक गायब हो जाना, मोबाइल, साइबर कैफे में इंटरनेट पर अश्लीलता भरे वीडियो-फोटो देखना, यह सब बाल अपराध के प्रारंभिक लक्षण हैं जिन्हें समय रहते दूर नहीं किया गया तो आगे चलकर यह बड़े अपराधों में तब्दील हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल-कॉलेज के आस—पास कुछ चाय—पान की दुकानें होती हैं जहां नशे के समान खुलेआम बिकते हैं। नशा का व्यापार करने वालों का एक गिरोह होता है जो बच्चों को बड़े ही सॉफ्ट तरीके से अपना ग्राहक बना लेते हैं। सर्वप्रथम यह बच्चों को बहला फुसलाकर नि:शुल्क नशे का आदि बनाते हैं, फिर धीरे-धीरे उनसे पैसे की मांग करने लगते हैं। बच्चों के पास पैसा न होने की स्थिति में वह उनसे घर से पैसा व गहना चुराकर लाने के लिए बोलते हैं। बच्चे नशे की लत की वजह से सामान चुराने लगते हैं जो आगे चलकर बड़े अपराध में तब्दील हो जाता है। श्री जायसवाल ने आगे कहा कि सरकार व पुलिस प्रशासन चाहे तो नशे के व्यापार को खासकर स्कूल व कालेज के आस—पास पूर्ण प्रतिबंधित कर सकती है लेकिन इस पर कभी कठोर कदम नहीं उठाये जाते, क्योंकि यह उनके आर्थिक आय का बड़ा स्रोत है। सरकार को स्कूल कॉलेज के आस—पास सिगरेट, गुटका, तंबाकू, शराब आदि की दुकानों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना चाहिए।
पुलिस व ड्रग विभाग को स्कूल व कालेज के आस—पास के कैंटीन व चाय—पान की दुकानों पर समय-समय पर जांच करनी चाहिए जिससे नशे के व्यापारी एवं नशा करने वाले बच्चों के अंदर डर व भय पैदा हो और वह नशे से दूर रहें। अभिभावकों को भी चाहिए कि वह समय-समय पर अपने बच्चों पर निगरानी रखें कि उनके बच्चों के मित्र कैसे हैं और वह उनके साथ कहां जाते हैं। वह अपने बच्चों को समय-समय पर स्कूल व कॉलेज स्वयं छोड़ने व लाने जाएं जिससे बच्चों में डर की भावना होगी और वह गलत कार्य करने से बचेंगे।