ब्यूरो,
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार के साथ ही विपक्षी गठबंधन INDIA में भी असमंजस की स्थिति पैदा होने लगी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उनके बिहारी के समकक्ष नीतीश कुमार और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने 6 दिसंबर को होने वाली बैठक से पहले ही दूरी बना ली है। इतना ही नहीं अब क्षेत्रीय दल सीट बंटवारे पर भी जोर देते नजर आ रहे हैं।
इस बार बैठक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राजधानी दिल्ली में बुलाई है। अब ऐसे में बड़े नेताओं का बैठक से दूरी बनाना विपक्षी एकता के लिए काफी अहम साबित हो सकता है। दरअसल, सीएम बनर्जी तो यह भी दावा कर चुकी हैं कि उन्हें मीटिंग के बारे में जानकारी ही नहीं थी।
चुनाव परिणामों के बाद उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अखिलेश ने बगैर नाम लिए कांग्रेस पर हमला बोला था। उनका कहना था, ‘अब परिणाम आ गया है, तो अहंकार भी खत्म हो गया। आने वाले समय में फिर रास्ता निकलेगा।’ फिलहाल, बैठक में उनके शामिल होने को लेकर संशय बना हुआ है। वहीं, सीएम बनर्जी साफ कर चुकी हैं कि व्यस्त कार्यक्रम के चलते वह भी बैठक का हिस्सा नहीं बनेंगी। बिहार सीएम भी मीटिंग के लिए दिल्ली नहीं जाएंगे। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि उनके स्थान पर जनता दल यूनाइटेड प्रमुख ललन सिंह और जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा शिरकत कर सकते हैं। इसके अलावा बैठक में राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी जा सकते हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जुटे विपक्ष INDIA गठबंधन की पहली बैठक सितंबर में हुई थी। इसके बाद भी करीब तीन बार विपक्षी नेताओं की मुलाकातें हुईं, लेकिन अब तक सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन सकी है। कहा जा रहा है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों के इंतजार में कांग्रेस की वजह से ही इस मुद्दे पर चर्चा रुकी हुई थी।
2018 में मध्य प्रदेश जीतने वाली कांग्रेस 2020 में पहले ही सरकार गंवा चुकी थी। अब 2023 विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। नतीजों के अनुसार, 230 में कांग्रेस को सिर्फ 66 सीटें मिली हैं। जबकि, भाजपा 163 सीटें जीतने में सफल रही। इधर, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ दल रही कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी और दोनों ही राज्यों में भाजपा की वापसी हो गई। जबकि कांग्रेस तेलंगाना में सफल हुई है।