मरेंगे तो वहीं जाकर जहां पर जिंदगी है… यहां तो जिस्म लाकर प्लग लगाए थे! चलो अब घर चलें… प्रवासी मजदूरों पर गुलजार की लिखी इन मार्मिक पंक्तियों ने कॉरपोरेट घरानों को भी द्रवित कर दिया है। उनकी बेहाली देखकर परेशान कानपुर की बड़ी कंपनियों ने रोजगार के दरवाजे खोल दिए हैं। इनके कर्ता-धर्ता ने कहा है कि जो संभव होगा, किया जाएगा। भविष्य के लिए ऐसी योजना भी बनाई जा रही है जिससे प्रदेश के कामगारों को घर के पास ही रोजगार मिल जाए।
डिटर्जेन्ट पाउडर के सभी सेगमेंट में देश के नंबर वन ब्रांड घड़ी की प्रवर्तक कंपनी आरएसपीएल की तैयारियां कुछ अलग हैं। आरएसपीएल ने देश भर के सभी प्लांट्स पर नजदीकी कामगारों को प्राथमिकता पर रोजगार देने का फैसला लिया है। इन प्लांट्स पर काम करने वाले अधिकतर कर्मचारी स्थानीय हैं।
गोल्डी मसाले ने मंगलवार को बोर्ड मीटिंग में बाहर से आने वाले श्रमिकों को नौकरियां देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। इतना ही नहीं, खाली हाथ कामगारों को एडवांस सैलरी देने का भी फैसला लिया गया है। रीजनल चाय ब्रांड में देश की नंबर वन कंपनी मोहिनी चाय के निदेशक दिनेश अग्रवाल मजदूरों के साथ हादसे से दुखी हैं। उन्होंने कहा कि ये समझ में नहीं आ रहा है कि जिन लोगों से उनकी रोजी चल रही है, उन्हीं के साथ मालिकों ने ऐसा व्यवहार क्यों किया। उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी कुशल और अकुशल दोनों ही श्रेणी के प्रवासी मजदूरों को रोजगार देगी।
इसी तरह प्लास्टिक आधारित बुने पैकेजिंग उत्पादों की मशीन बनाने वाली दुनिया की नंबर वन कंपनी लोहिया कॉर्प ने दूसरे प्रदेशों से घर लौट रहे कुशल कामगारों को जॉब का ऑफर दिया है। सेनेटरी नैपकिन ब्रांड नाइन के निदेशक शरत खेमका लोकल इन वोकल के तहत ब्रांड एक्सपेंशन की प्लानिंग कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें कुशल और अकुशल दोनों ही श्रमिकों की जरूरत होगी।