G20 से पहले भारत को गीदड़ भभकी दे रहा चीन?

ब्यूरो,

पड़ोसी चीन ने अपना ‘नक्शा’ जारी किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, पूर्वी लद्दाख के कुछ हिस्सों, दक्षिण चीन सागर का भी जिक्र कर दिया। अब भारत सरकार की ओर से इस नक्शे को नकार दिया गया है, लेकिन चीन के इस कदम के तार भारत में होने जा रहे G20 सम्मेलन से भी जोड़कर देखे जा रहे हैं। खास बात है कि हाल ही में दक्षिण अफ्रीका जोहान्सबर्ग में हुए BRICS शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से छोटी मुलाकात की थी।

चीन के इस कदम के बाद इन सवालों का दौर भी शुरू हो गया है कि क्या जिनपिंग जी20 का हिस्सा बनेंगे? या उनकी कोई और ही योजना है? हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार, जानकारी मिली है कि चीन हर साल नक्शा जारी करता है, लेकिन यह पहला मौका है जब भारत ने बीजिंग के सामने इतना भारी विरोध दर्ज कराया है और मिडिल किंगडम के दावों को खारिज कर दिया है।

एक और सवाल यह भी है कि चीन ने यह कथित नक्शा जारी क्यों किया और सोशल मीडिया के जरिए इसे फैसले को बढ़ा चढ़ाकर क्यों दिखाया गया? अब इसके तार ब्रिक्स समिट से भी जुड़ रहे हैं, जहां पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग मिले थे।

माना जा रहा है कि चीन ब्रिक्स के दौरान भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत चाहता था। साथ ही पूर्वी लद्दाख में देपसांग बल्ज और डेमचॉक पर एक इंच पीछे हटे बगैर संबंधों को सामान्य करने पर जोर दे रहा था। अब पीएम मोदी के पहले से तय कार्यक्रमों के चलते बैठक तो नहीं हो सकी, लेकिन दोनों नेताओं ने मुलाकात जरूर की। खबर है कि इस चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने सीमा मुद्दों को उठाया, साथ ही पीएम मोदी ने संकेत दिए कि पूर्वी लद्दाख में डिसइंगेजमेंट और डिएस्केलेशन के बाद ही रिश्ते सामान्य हो सकते हैं। उन्होंने लद्दाख में दोनों देशों के बीच तनाव में घिरे दो पॉइंट्स के समाधान की भी बात कही।

अब यह साफ है कि पीएम मोदी की इस बात से जिनपिंग नाराज हैं कि अक्साई चिन से PLA हटाए जाने से पहले कोई संबंध सामान्य नहीं हो सकेंगे। साथ ही पीएम मोदी ने यह भी कहा है कि देपसांग और डेमचॉक के सीएनएन जंक्शन में भारतीय सेना के गश्त के अधिकार बहाल किए जाएं। अब यह समझना बहुत मुश्किल नहीं है कि चीन ने भारत को सबक सिखाने के लिए नक्शा जारी किया है।

जी20 से ठीक पहले नक्शा जारी कर चीन ने साफ संकेत दे दिए हैं कि वह अमेरिका और क्वाड के साथ संबंधों के चलते भारत पर दबाव बनाना जारी रखेगा। इसके चलते चीन एलएसी के 3488 किमी पर सैन्य मौजूदगी बनाए रख सकता है और पश्चिमी सीमाओं पर दबाव बनाने के लिए पाकिस्तान की मदद भी कर सकता है।

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