ब्यूरो,
पूर्व DGP सुलखान सिंह ने अपनी फेसबुक वॉल पर आरक्षण विरोधियों को लताड़ा
पढिये: आरक्षण बनाम योग्यता
हमारे एक मित्र ने अभी फेसबुक पर लिखा कि योग्यता दम तोड़ रही है और आरक्षणके बल पर अयोग्यता कुर्सी तोड़ रही है।
ऐसी भाषा अत्यंत अशोभनीय है और आपसी नफ़रत का प्रतीक है। यह मानसिकता देश की एकता के लिए घातक है। देशहित में कमसे कम नफ़रत को दबाकर तो रख ही सकते हैं।
रही बात योग्यता की तो यह समझ लेना चाहिए कि हर सेवा के लिए न्यूनतम योग्यता विज्ञापन में ही दी जाती है। जो भी उन शर्तों को पूरा करता है ‘योग्य’ तो है ही।
चयन परीक्षा में नंबर ज्यादा पाने का यह तात्पर्य कदापि नहीं है कि वह अभ्यर्थी ज्यादा योग्य है अथवा कम नंबर पाने वाला अयोग्य है। यह नहीं भूलना चाहिए कि जो भी परीक्षा में शामिल हो रहे हैं वे सभी योग्य हैं। योग्यता की शर्त पूरी ना कर रहे होते तो परीक्षा में शामिल ही न हो पाते।
दूसरी बात परीक्षा की है तो यह समझना जरूरी है कि परीक्षा योग्यता तय करने के लिए नहीं है। चूंकि आवेदन करने वाले अधिक होते हैं और रिक्तियां कम होती हैं अतः अधिक अभ्यर्थियों को छंटनी करने के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। प्रतियोगी परीक्षा की व्यवस्था सर्वप्रथम आई.सी.एस. के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा किए जा रहे भाई भतीजावाद और पदों की बिक्री को खत्म करने के लिए की गई थी। परीक्षा का उद्देश्य समान अवसर उपलब्ध कराना है न कि योग्यता की जांच करना।
आरक्षण की व्यवस्था, इसी समान अवसर को कमजोर वर्ग को भी उपलब्ध कराने के लिए है। ऐतिहासिक सामाजिक कारणों से भारतीय समाज में विभिन्न वर्गों में भारी असमानता व्याप्त है। इस स्थिति में संविधान के अनुसार सभी वर्गों को सम्मान अवसर एवं ‘कानून का समान संरक्षण’ उपलब्ध कराने के लिए आरक्षण की व्यवस्था अपरिहार्य है। आरक्षण की सीमा 50% है जबकि वंचित वर्ग की आबादी लगभग 70% है। अनारक्षित वर्ग के लिए 50% पद उपलब्ध हैं। क्या यह अन्यायपूर्ण है? क्या वंचित वर्ग को राज्य की सेवाओं में अवसर नहीं मिलना चाहिए? क्या भाइयों के आपसी हिस्सेदारी में कमजोर भाई को हिस्सा नहीं मिलना चाहिए? क्या ताकत हिस्सेदारी तय करेगी?
यह न भूलिये मित्रो कि भारतीयों की इसी अन्यायपूर्ण मानसिकता के कारण समाज का विघटन हुआ है और आपसी भेदभाव एवं वैमनस्य व्याप्त हो चुका है। इसी मानसिकता के कारण देश गुलाम हुआ है। अगर समाज के सभी वर्गों में यह भावना नहीं होगी कि उनके हित भी सुरक्षित हैं, तो देश कमजोर बना रहेगा।