आलोक वर्मा, जौनपुर, ब्यूरो,
सरकारी बीज गोदाम में निजी पौधशाला का संचालन
गोदाम की बाउंड्री के भीतर व बाहर लहलहा रहे नर्सरी के पौधे
तीन साल में नर्सरी संचालक ने आम, शीशम समेत आठ फलदार वृक्ष दवा डालकर सुखा दिए
गोदाम प्रभारी को कुछ हजार देकर नर्सरी संचालक तीन साल से कर रहा लाखों का धंधा
जीएसटी न देने वाले कई नर्सरी संचालक गेंदा का पौधा भी बिना रसीद के ग्राहकों को थमा देते हैं
जौनपुर। बीते तीन साल से कृषि विभाग से जुड़े मुख्य बीज गोदाम के प्रभारी व अन्य कारिंदों को पटाकर एक संचालक निजी नर्सरी खोलकर सरकार को लाखों रूपये की चपत लगा रहा है। सरकारी मकान में वह मुफ्त की बिजली, पानी लेकर व्यापार कर रहा है जबकि इसका भुगतान कृषि विभाग कर रहा है। इसके अलावा गोदाम के परिसर में लाखों शोदार व फलदार पौधे सजा रखा है। इतना ही नहीं नर्सरी के पौधों को धूप मील सके इसके लिए उसने नायाब तरीका अपनाते हुए कैम्पस के आठ बड़े आम, शीशम व अन्य पौधों की जड़ में दवा डालकर सूखा दिया। दो वृक्षों के ठूंठ अभी मौजूद हैं। सरकारी हाकिमों व कारिन्दों का यह खेल वाराणासी-लखनऊ मार्ग स्थित जगदीशपुर रेलवे क्रासिंग से पहले कृषी बीज गोदाम पर तीन साल से निर्बाध चल रहा है। दिलचस्प बात ये है की नर्सरी संचालक कई अन्य नर्सरी संचालकों की तरह हजार हजार के पौधों की रसीद मांगने पर भी नहीं देता। यदि कोई ज्यादा जिद किया तो सादे कागज पर पैसे जोड़कर थम देता है। इसके अलावा कई और नर्सरी संचालक हैं जो जीएसटी गटक कर सरकार को लाखों रूपये के राजस्व का चूना लगा रहे हैं जबकि तमाम ठेले खोमचे वालों को मूंगफली आदि जीएसटी चुकाकर बेचनी पड़ रही है। इस तरह जीएसटी वसूलने वाले विभाग की भी मिलीभगत बड़े पैमाने पर हो तो कोई अचरज की बात नहीं। इसी रोड पर महज दो सौ मीटर दूर एक नर्सरी संचालक बिना रसीद के 50 रु पये प्रति पौधा गेंदा का फूल बिंदास बेच रहा है। उसके आगे लाइन बाजार में एक नर्सरी है जहां 20 रु पये में गेंदा का पौधा पक्की रसीद से दे रहा है। उसमें जीएसटी भी शामिल होती है। दरअसल यह खेल हरित क्रांति के नाम पर खेला जा रहा है। लोग कोरोना के दौरान ऑक्सीजन की कमी झेलने के बाद पौधरोपण की ओर उन्मुख हुए हैं। इसका फायदा ऐसे नर्सरी संचालक उठा रहे हैं। इन्हें पता है कि सरकारी महकमा पल्स पोलियो की तरह केवल आंकड़ों पर भरोसा करता है। अगले साल जुलाई 2023 आते ही पुराने साल के आंकड़े के आगे एक लाख की संख्या बढ़ाकर पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित करके डीएम को बता देता है और फिर अभियान शुरू हो जाता है। इसमें तमाम सरकारी महकमें शामिल कर लिए जाते हैं। इसके बाद इन पौधों की क्या स्थिति है शायद ही कोई विभाग कार्यदायी संस्था याद अधिकारी देखने की जहमत उठता है। इससे ये बात तो साबित होती है कि इस खेल में कई लोग शामिल हैं यदि मामले की जांच की जाये तो खुलासा हो जायेगा। वहां पर मौजूद कर्मचारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बीज गोदाम प्रभारी की अनुमति से ही यहां पर पौधों को रखा गया है यदि वे कहेंगें तो इसे हटा दिया जायेगा।