अब कांग्रेस ने सिसोदिया पर लगाया ‘टॉयलेट घोटाले’ का आरोप

ब्यूरो,

कांग्रेस ने कहा 8 जून को भी आदेश जब GeM पोर्टल की निविदा शर्तों में कहा गया था कि खराब प्रदर्शन ट्रैक रिकॉर्ड वाली कंपनी निविदा बोली में भाग नहीं ले सकती हैं, तो उस कंपनी को भाग कैसे लेने दिया गया।

कांग्रेस नेताओं ने मंगलवार को दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से मुलाकात की और आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार शहर में सार्वजनिक शौचालयों का प्रबंधन गैर सरकारी संगठनों की जगह एक प्रतिबंधित कंपनी को सौंपने की योजना बना रही है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार की अध्यक्षता में पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने गैर-लाभकारी समूहों को उनके प्रबंधन से हटाकर एक कंपनी को शौचालयों की जिम्मेदारी सौंपने की दिल्ली सरकार की योजना में भ्रष्टाचार का दावा किया।

दिल्ली कांग्रेस के एक बयान में कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल ने एलजी को एक ज्ञापन सौंपा और पब्लिक टॉयलेट में वेस्टर्न टॉयलेट सीट लगाने के लिए दिल्ली सरकार की कांट्रैक्ट की जांच की मांग की। पत्रकारों से बात करते हुए, दिल्ली कांग्रेस प्रमुख ने आरोप लगाया कि शहरी विकास मंत्री मनीष सिसोदिया ने शौचालय परिसरों के निर्माण और रखरखाव को एक प्रतिबंधित कंपनी को देने की योजना बनाई है।

अनिल कुमार ने सिसोदिया पर आरोप लगाया कि जिस कंपनी को उन्होंने खुद प्रतिबंधित किया है अब उसे टेंडर क्यों दिया जा रहा है। कुमार ने आंकड़े देते हुए कहा,”18 अगस्त को, 559 सार्वजनिक सुविधा परिसरों में 18,620 शौचालयों के निर्माण के लिए एक डिबार्ड कंपनी को ठेका देने का निर्णय लिया गया था। दिल्ली सरकार टेंडर जारी करने के लिए पारंपरिक ई-प्रोक्योरमेंट वेबसाइट के बजाय GeM पोर्टल पर गई, और सीधे  एक प्रतिबंधित कंपनी को ठेका देने की पेशकश की।” 

कुमार ने आगे आरोप लगाया कि सिसोदिया ने खुद 2021 में दो साल के लिए कंपनी को उनके खराब प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित किया था। उच्च न्यायालय ने उस कंपनी को अपने खराब रिकॉर्ड के लिए कोई क्लीन चिट नहीं दी। 8 जून को आदेश में जब GeM पोर्टल की निविदा शर्तों में कहा गया था कि खराब प्रदर्शन ट्रैक रिकॉर्ड वाली कंपनी निविदा बोली में भाग नहीं ले सकती हैं, तो उस  कंपनी को निविदा बोली में भाग लेने की अनुमति कैसे दी गई?”

दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के सूत्रों ने कहा है कि सार्वजनिक सुविधा परिसरों में शौचालयों के निर्माण के लिए एक कंपनी को अनुबंध सौंपने की योजना कई गैर सरकारी संगठनों द्वारा कुप्रबंधन के कारण ली गई है। आरोपों पर दिल्ली सरकार के अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

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