धान खरीद में 60 करोड़ रुपये का घोटाला, मची लूट

प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति यानी पैक्स के जरिए धान खरीद में 60 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आया है। राज्य में पैक्स के जरिए धान खरीद में हुई गड़बड़ी को लेकर 48 मामले दर्ज थे। सीआईडी ने इनमें से 24 कांडों को टेकओवर किया था। सीआईडी एडीजी अनिल पाल्टा ने धान खरीद के 12 कांडों की समीक्षा की है। समीक्षा के दौरान 60 करोड़ रुपये से अधिक तक की गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। पूरे मामले में पैक्स, एफसीआई व बिचौलियों की भूमिका सामने आयी है। जांच में यह बात सामने आयी है कि पैक्स से जुड़े लोगों ने पूरे मामले में बड़ी गड़बड़ी की है। अधिकांश मामलों में किसानों से सीधे धान खरीदने के बाद पैक्स ने बिचौलियों से धान की खरीद की। जांच में इस बात की पुष्टि भी हुई है कि बिचौलियों ने किसान से काफी कम रेट पर धान की खरीद की। इसके बाद पैक्स ने बिचौलियों को भुगतान कर धान की खरीद की।

 झारखंड हाईकोर्ट में 10 मई  2019 को धान खरीद में लिट्टीपाड़ा के एक केस के आरोपी बहुल मंडल के रेगुलर जमानत को लेकर सुनवाई हुई थी। इसमें हाइकोर्ट ने राज्य में धान खरीद में हुए घोटाले की पुलिस जांच को असंतोषजनक बताया था। हाइकोर्ट ने तत्कालीन गृह सचिव से पूछा था कि क्या राज्य सरकार धान खरीद घोटाले मामले में पुलिस की जांच से संतुष्ट है, क्या इस तरह के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की एजेंसी के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है।

राज्य में सरकारी धन से पैक्स के जरिए धान की खरीदारी हुई थी। साल 2011-17 के बीच हुए इस घोटाले में केस आइपीसी की धारा 406 और 420 के तहत दर्ज हुआ, लेकिन स्थानीय पुलिस ने सही तरीके से अनुसंधान नहीं किया। पुलिस ने अनुसंधान के दौरान आरंभिक साक्ष्य भी एकत्रित नहीं किए, जबकि मामले से संबंधित कुछ केस हजारीबाग, गोड्डा, देवघर, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़ सहित अन्य जिले में दर्ज किए जा चुके थे। केस में बिना उचित जांच के आरोपी के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई थी। हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद पुलिस मुख्यालय ने घोटाले की जांच सीआइडी से कराना प्रारंभ किया था। सीआईडी में एडीजी अनिल पाल्टा के आने के बाद केस की जांच ने रफ्तार पकड़ी, जिसके बाद मामले में कई नए तथ्य सामने आए हैं।

राज्य के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने की अंतिम दिन शुक्रवार को पचास हजार क्विंटल धान की खरीदारी हुई। अभी तक 47 हजार से अधिक किसानों ने रिकार्ड 33.60 लाख क्विंटल धान सरकार को बेचा दिया। सरकार ने अपने लक्ष्य से अधिक धान की खरीदारी भी कर ली है। लेकिन अभी तक 25 हजार किसानों को उनके धान का पैसा नहीं मिल पाया है। धान खरीदारी की अंतिम तिथि 31 मार्च तक ही थी, लेकिन धान खरीदारी की रफ्तार कम होने और किसानो को भुगतान नहीं हो पाने को लेकर दो बार तिथि बढ़ायी गई। सरकार ले लक्ष्य तो हासिल कर लिया लेकिन अब खरीफ खेती की तैयारी कर रहे किसानों को पैसे नहीं मिलने से मुश्किलें खड़ी हो गई है। किसानों ने बताया कि पिछले वर्ष जो धान उपजाया उसकी कमाई अभी तक नहीं मिल सकी है। एक सीजन खत्म हो गया, फिर भी किसानों की वही स्थिति है। यही हाल पिछले वर्ष भी थी, जिसमें किसानों को एक वर्ष तक पैसा का भुगतान होता रहा।पूर्वी सिंहभूम के 5474 किसान सात लाख क्विंटल से अधिक धान की बिक्री कर पहले स्थान पर रहे हैं। लेकिन इन किसानों में से 2068 किसानों से धान तो खरीदा गया लेकिन इन्हें अभी तक इन्हें भुगतान नहीं किया जा सका है।  

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