ब्यूरो,
इमरान खान ने कहा है कि सियालकोट में हमारे कार्यकर्ताओं के खिलाफ आयातित सरकार ने जो किया वह अपमानजनक है। उन्होंने कहा है कि शरीफ सरकार लोकतांत्रिक मानदंडों को पूरी तरह से नष्ट कर रही है।
अविश्वास प्रस्ताव हारने और सत्ता खोने के बाद से इमरान खान बौखलाए हैं। अब उन्होंने कहा है कि भले पुलिस कुछ करे लेकिन वह आज सियालकोट जा रहे हैं। डॉन की एक रिपोर्ट बताती है कि इमरान खान की रैली सियालकोट में ऐसी जगह है जो ईसाई समुदाय से संबंधित है और उसे लेकर विवाद है। पुलिस ने पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ से जुड़े कार्यकर्ताओं को संबंधित क्षेत्र में रैली की तैयारी करने से रोक दिया है, जिसके बाद मामला बिगड़ गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस जब संबंधित क्षेत्र में रैली की तैयारियों पर रोक लगाने पहुंची तो इमरान खान की पार्टी से जुड़े लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। मामला बढ़ा तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और विरोध कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज किया। इसके बाद अब इमरान खान ने एक ट्वीट करके कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है वह आज सियालकोट जा रहे हैं।
इमरान खान ने कहा है कि सियालकोट में हमारे कार्यकर्ताओं के खिलाफ आयातित सरकार ने जो किया वह अपमानजनक है लेकिन अप्रत्याशित नहीं। जमानत पर छूटे अपराधियों और लंदन में दोषी माफिया बॉस ने सत्ता में रहते हुए हमेशा विरोधियों के खिलाफ फासीवादी रणनीति का इस्तेमाल किया है। जब वे विपक्ष में होते हैं तो वे लोकतंत्र का दुरुपयोग करते हैं और सत्ता में रहते हुए सभी लोकतांत्रिक मानदंडों को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं।
इमरान खान ने सफाई देते हुए कहा है कि हमारी सरकार ने कभी भी किसी भी जलसा, धरना और रैली को नहीं रोका क्योंकि हम लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं आज सियालकोट में रहूंगा और मैं अपने सभी लोगों से सियालकोट की रैली में आने की अपील कर रहा हूं। हम इस फासीवादी आयातित सरकार के खिलाफ घरों से बाहर निकलकर विरोध करेंगे।
डॉन की रिपोर्ट मुताबिक सियालकोट के जिला पुलिस अधिकारी हसन इकबाल ने मीडिया को बताया है कि स्थानीय ईसाई समुदाय ने जमीन पर रैली करने पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह उनकी संपत्ति है। उन्होंने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि यहां कोई राजनीतिक रैली नहीं होनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने सियालकोट के उपायुक्त को दोनों पक्षों को सुनने और उसके मुताबिक फैसला लेने का निर्देश दिया था।उन्होंने आगे बताया है कि राजनीतिक दल के नेताओं ने रैली करने की इजाजत मांगी थी लेकिन ईसाई समुदाय ने इनकार कर दिया। उपायुक्त ने रैली आयोजित करने के लिए विकल्प भी मुहैया कराए थे लेकिन तहरीक ए इंसाफ से जुड़े लोग उसी जगह रैली करने को लेकर अड़े हुए हैं। रैली करना एक कानूनी और संवैधानिक अधिकार है लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्ति पर जबरन रैली करना उचित नहीं है।