ब्यूरो,
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत में कभी भी मुस्लिम वोटबैंक नहीं था और समुदाय कभी भी देश के शासन नहीं बदल सकता है। अगर ऐसा होता तो उस वक्त बाबरी मस्जिद पर और अब ज्ञानवापी मस्जिद पर ऐसा नहीं होता…
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण पर फिर मुस्लिम कार्ड खेला है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में कभी भी मुस्लिम वोटबैंक नहीं था और समुदाय कभी भी देश के शासन नहीं बदल सकता है। अगर ऐसा होता तो बाबरी मस्जिद पर कोर्ट का आदेश आया वो नहीं हो पाता और अब ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा सामने आया है।
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी की यह टिप्पणी वाराणसी की अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने के संदर्भ में आई है। अधिकारियों ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद में अदालत द्वारा अनिवार्य सर्वेक्षण शुरू दिया है।
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा, “मुसलमान देश में शासन नहीं बदल सकते। आपको गुमराह किया गया है। मुसलमान हमेशा सोचते थे कि वे वोट बैंक हैं। लेकिन यह सच नहीं है, इस देश में कभी कोई मुस्लिम वोट बैंक नहीं था और न ही होगा।”
ओवैसी आगे कहते हैं, “भारत में एक बहुसंख्यक वोट बैंक रहा है और रहेगा। अगर हम एक शासन बदल सकते हैं, तो संसद में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कम क्यों होगा? अगर हम सरकार बदल सके… तो बाबरी मस्जिद पर कोर्ट का आदेश आया और अब ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा सामने आया है।”
ओवैसी ने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर मुसलमानों को धोखा देने का भी आरोप लगाया। ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण पर वाराणसी की अदालत के फैसले को पूजा स्थल अधिनियम 1991 का घोर उल्लंघन बताया था। कोर्ट के फैसले के दिन लोकसभा सांसद ने यह भी कहा था कि वह एक और मस्जिद नहीं खोना चाहते हैं।
लेकिन यह पहली बार नहीं है जब ओवैसी ने मुस्लिम वोटों पर बात की है। उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार के दौरान एआईएमआईएम नेता ने मुसलमानों से वोट देने वाले के बजाय ‘वोट आकर्षित करने वाले’ बनने का आग्रह किया था। उन्होंने प्रयागराज में एक रैली के दौरान कहा था, “समाजवादी पार्टी (सपा) ने हमेशा मुसलमानों को उनके वोट के लिए इस्तेमाल किया है और उनके अधिकारों और विकास के लिए कभी काम नहीं किया है।