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वैचारिक शक्ति लेख:-
बाहरी इस्लामिक शक्तियाँ आज भी हिन्दुस्तानी मुसलमानों से डरती डराती रहती हैं कि कहीं बुजदिल हिन्दुस्तानी मुसलमानों के मन में अपने पूर्वजों पर तलवारों और बलात्कारों से हुए अत्याचारों और जुर्मों की बदला लेने और घर वापसी करने की इच्छाशक्ति जाग्रित न हो जाय । इसीलिए जैसे ही किसी सच्चे हिन्दुस्तानी मुसलमान में अपने पूर्वजों के अस्तित्व का एहसास जागता है तुरंत भ्रमित मुसलमान या विदेशी इस्लामिक शक्तियाँ सर कलम करने जैसी फतवा जारी कर उनके अन्दर डर पैदा करने की कोशिश करते रहते हैं । इससे यही साबित होता है कि हिंसा करने वाले या हिंसा करने की शिक्षा देने वाले धर्म , धर्मगुरु वास्तव में कितने कमजोर हैं जो हिंसा को अपनाकर अपनी कमजोरी की असलियत को छुपाने की कोशिश करते रहते हैं वर्ना शांति और भाईचारे जैसा जीवन कितना अनमोल हो । हिंसा पर एक सोंचने का विषय यह भी है कि जो जीव जन्तु जानवर केवल घासफूस खाते हैं सभी तरह से निर्दोष हैं किसी का किसी प्रकार का कोई अहित भी नहीं किया है फिर भी उनका कत्ल कर दिया जाता है और खा भी लिया जाता है अब आप सोंचें कि उन घासफूस खाने वाले अज्ञानी , अविवेकी जानवरों को मारकर खा जानेवाले ज्ञानी , विवेकी अत्याचारी मनुष्यों का भगवान या अल्लाह क्या हश्र करते होंगे क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की इजाजत नहीं देता है इस्लाम अनैतिक विस्तारवादी धर्म है और अनैतिक विस्तारवाद हमेशा हिंसा से परिपूर्ण होता है । और यदि कोई भी धर्म हिंसा की शिक्षा देता है तो घासफूस खाने वाले अज्ञानी , अविवेकी जानवरों का उदाहरण आपके सामने है । मनोवैज्ञानिक वैचारिक परिवर्तन ही माननीय मोहन भागवत जी के अखंड भारत की कल्पना साकारीय है । इसीलिए सच्चे हिन्दुस्तानी मुसलमानों में सन्मति की उम्मीद में अनुरागी हिन्दुस्तान आपस में भाईचारे की आशा और विश्वास की मजबूत नींव बनाये रखना चाहता है ।