ब्यूरो,
यूक्रेन पर रूस के अटैक ने ग्लोबल मार्केट्स पर दबाव बढ़ा दिया है। सभी देश और सेंट्रल बैंक्स कोविड-19 महामारी के असर से रिकवरी की प्रक्रिया में हैं। इस बीच, रूस का यूक्रेन पर अटैक महंगाई के दबाव को और बढ़ा सकता है। नोमुरा (Nomura) की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संघर्ष के नतीजे के चलते एशिया में भारत सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में हो सकता है। नोमुरा की रिपोर्ट के हवाले से यह बात इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कही गई है।
गुरुवार के ट्रेड में एक समय ब्रेंट क्रूड की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाने के बाद करीब 3 फीसदी चढ़ीं। रिसर्च फर्म की रिपोर्ट को अरोदीप नंदी और सोनल वर्मा ने लिखा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑयल और फूड प्राइसेज में लगातार बढ़ोतरी एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ऐसी स्थिति में भारत, थाईलैंड और फिलीपींस पर सबसे बुरा असर (बिगेस्ट लूजर्स) पड़ेगा। वहीं, इंडोनेशिया को फायदा हो सकता है।’
भारत, ऑयल का बड़ा इंपोर्टर है। ऐसे में बढ़ते ऑयल प्राइसेज भारत पर प्रतिकूल असर डाल सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें कंज्यूमर और बिजनेस के लिए निगेटिव टर्म ऑफ ट्रेड शॉक है।’ हालिया पॉलिसी मीटिंग में भारत में मोनेटरी पॉलिसी कमेटी ने पॉलिसी रेट्स में बदलाव नहीं किया है। लेकिन, बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) थोड़ा सख्ती कर सकता है।
QuantEco रिसर्च के मुताबिक, भारत के क्रूड बॉस्केट में 10 डॉलर प्रति बैरल की तेजी सालाना जीडीपी ग्रोथ एस्टिमेट में 10 बेसिस प्वाइंट (10 बीपीएस) का असर डाल सकती है। फाइनेंशियल ईयर 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 9.2 फीसदी रहने का अनुमान है। बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस का कहना है कि 10 फीसदी की परमानेंट बढ़ोतरी होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) में 1.2 फीसदी की महंगाई और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) में 0.3 से 0.4 फीसदी की महंगाई की वजह बनेगी।