ब्यूरो,
देश भर में कोरोना के नए केसों में तेजी से इजाफे के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे ओमिक्रॉन वैरिएंट ने भारत में शायद रूप बदल लिया है। ओमिक्रॉन का ही एक और रूप बताए जा रहे BA.1 वैरिएंट ने अब डेल्टा की जगह लेना शुरू कर दिया है। फिलहाल महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में ऐसा देखा जा रहा है। फिलगाल वैज्ञानिक पॉजिटिव क्लीनिकल सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग करने में जुटे हैं। इस स्टडी के बाद ही कुछ और जानकारी निकलकर सामने आ सकेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन से ज्यादा फिलहाल BA.1 वैरिएंट ही देश भर में तेजी से बढ़ रहे केसों के लिए जिम्मेदार है।
हालांकि राहत की बात यह है कि इस वैरिएंट से पीड़ित लोगों में मामूली लक्षण ही दिखे हैं और लोगों को अस्पतालों में कम ही एडमिट करने की जरूरत पड़ रही है। ओमिक्रॉन वैरिएंट की ही फैमिली से जुड़े तीन नए वैरिएंट BA.1, BA.2 और BA.3 सामने आए हैं। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के सीनियर साइंटिस्ट ने बताया, ‘हमें कुछ क्लीनिकल सैंपल्स में BA.1 वैरिएंट की मौजूदगी मिली है। यह ओमिक्रॉन वैरिएंट फैमिली से ही ताल्लुक रखता है। यह एक ही फैमिली के हैं। इसलिए पीड़ित लोगों में ओमिक्रॉन वैरिएंट ही बताया जा रहा है।’
देश में 20 दिसंबर के बाद से ही कोरोना के नए केसों में तेजी देखी जा रही है। सोमवार को देश भर में एक ही दिन में 1.80 लाख नए केसों का आंकड़ा सामने आया है। महाराष्ट्र, दिल्ली समेत कई राज्यों में केसों की संख्या तेजी से बढ़ी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि देश में तीसरी लहर शुरू हो चुकी है और फरवरी के पहले सप्ताह में यह पीक पर होगी। हालांकि राहत की बात यह है कि भले ही केसों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन ज्यादातर लोगों को अस्पताल में एडमिट करने की जरूरत ही नहीं पड़ रही है।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर महेंद्र अग्रवाल ने कहा कि मार्च के मध्य तक कोरोना की यह तीसरी लहर बेहद धीमी हो जाएगी। तीसरी लहर इस महीने के मध्य में अपने पीक पर पहुंच सकती है। हमारे पास पूरे भारत के लिए प्रयाप्त डेटा तो नहीं है, लेकिन हमारी वर्तमान गणना के अनुसार हम उम्मीद करते हैं कि तीसरी लहर अगले महीने की शुरुआत में चरम पर पहुंच जाएगी। पीक की ऊंचाई वर्तमान में ठीक से नहीं ली जा रही है, क्योंकि पैरामीटर तेजी से बदल रहे हैं। एक अनुमान के रूप में हम एक दिन में चार से आठ लाख मामलों की एक विस्तृत श्रृंखला की भविष्यवाणी करते हैं।