कोरोना संकट के बीच देश-विदेश में वर्चुअल बैठकों का दौर तो चल ही रहा है लेकिन किसी दूसरे देश में उच्चायुक्त के तौर पर पदभार ग्रहण करने के लिए जरूरी औपचारिकता पूरी करने में भी ‘इनोवेटिव डिप्लोमेसी’ की मदद ली जा रही है। विश्व में पहली बार किसी देश के राजनयिक ने कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए एहतियातन अपने क्रिडेंशियल वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रस्तुत किए।
श्रीलंका में भारत के नए उच्चायुक्त गोपाल बागले ने गुरुवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस से अपने क्रिडेंशियल यानी पहचान, साख प्रस्तुत किया। अमूमन किसी देश में उच्चायुक्त के तौर पर नियुक्ति होने पर पदभार ग्रहण करने पर उस देश के शासनाध्यक्ष को अपने क्रेडेंशियल देना होता है। इसके लिए संक्षिप्त समारोह होता है। अपने दस्तावेज राजदूत द्वारा सौंपे जाते हैं।
बागले श्रीलंका सामान लेकर गए वायुसेना के विमान से वहां गए थे और उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया था कि उन्हें कॉन्फ्रेंसिंग से क्रेडेंशियल प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया। भारतीय उच्चायुक्त ने इसे भारत की ‘इनोवेटिव डिप्लोमेसी’ का उदाहरण बताया। उच्चायुक्त ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत और श्रीलंका के मजबूत सहयोग को दोहराया। गोपाल बागले इस तैनाती से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव थे और प्रधानमंत्री मोदी के साथ विदेश मामलों में काफी करीबी से काम कर रहे थे। बागले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी रह चुके हैं और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान डेस्क के भी संयुक्त सचिव रह चुके हैं। बागले इससे पहले रूस, यूक्रेन, लंदन और काठमांडू में भी अलग-अलग पद पर तैनात रह चुके हैं।