IIआज का पंचांग एवं ग्रहों की स्थितिII
Alok Vajpeyee (Astrologer),
“वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥” है, जिसका अर्थ है: “मैं उस देवी शैलपुत्री की वंदना करता हूँ, जो वांछित फल प्रदान करती हैं, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र है, जो बैल पर सवार हैं और त्रिशूल धारण करती हैं, और जो यशस्विनी हैं।”
स्तुति का अर्थ:
मैं उस देवी की वंदना करता हूँ जो वांछित फल प्रदान करती हैं। जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र है। जो बैल पर सवार हैं।जो त्रिशूल धारण करती हैं जो यशस्विनी हैं।
जय माता की
सभी को नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें ⚘️
IIआज का पंचांग एवं ग्रहों की स्थितिII
श्री गणेशाय नमः, जय श्री कृष्ण
सब सुखी व स्वस्थ रहें
विक्रम संवत 2082
संवत्सर नाम -: सिद्धार्थी
संवत्सर राजा-: सूर्य
संवत्सर मंत्री-: सूर्य
सूर्य उत्तरायण, ऋतु-: वसंत
सूर्य उदय : प्रातः 6/20
सूर्य अस्त : सायं 6/33
चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि
अंग्रेजी दिनांक-: 30/3/2025
दिन-: रविवार
चंद्रमा-: मीन राशि में सायं 4/34 तक उसके बाद मेष राशि में
राशि स्वामी-: गुरु/मंगल
आज का नक्षत्र-: रेवती सायं 4/35 तक उसके बाद अश्विनी
नक्षत्र स्वामी – : बुद्ध/केतु
️ चंद्रमा का नक्षत्र प्रवेश:
प्रात: 6/01 से रेवती नक्षत्र चरण 3 में
प्रात: 11/18 से रेवती नक्षत्र चरण 4 में
सायं 4/35 से अश्विनी नक्षत्र चरण 1 में
रात्रि 9/52 से अश्विनी नक्षत्र चरण 2 में
योग -: सायं 5/34 तक ऐंद्र -: ज्योतिष के मुताबिक, इंद्र योग एक शुभ योग है. यह तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति एक खास तरह से होती है. इंद्र योग बनने से व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य, मान-सम्मान, और करियर में तरक्की मिलती है.
उसके बाद वैधृति -: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, वैधृति योग एक अशुभ योग है. इस योग में यात्रा या कोई शुभ काम करना वर्जित माना जाता है. वैधृति योग सूर्य और चंद्रमा की युति से बनता है.
आज के मुख्य पर्व
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सिद्धार्थी नामक विक्रम संवत 2082 प्रारंभ
चैत्र(वासंत)नवरात्र प्रारंभ, घटस्थापन, ध्वजारोहण, तैलाभ्यंग पंचक समाप्त सायं 4/35 से, श्री दुर्गा पूजा, गुड़ी पड़वा, गन्डमूल,
आज की शुभ दिशा -: पूर्व, उत्तर, दक्षिण-पूर्व,
दिशा शूल -: पश्चिमी दिशा की ओर यात्रा करने से बचें, अति आवश्यक होने पर दलिया एवं घी खाकर प्रस्थान करें
आज की ग्रह स्थिति -:
सूर्य -: मीन राशि उत्तर भाद्रपद नक्षत्र चरण 4 में (नक्षत्र स्वामी शनि)
मंगल (वक्री) -: मिथुन राशि पुनर्वसु नक्षत्र चरण 3 में (नक्षत्र स्वामी गुरु)
बुद्ध (वक्री) -: मीन राशि उत्तर भाद्रपद नक्षत्र चरण 1 में (नक्षत्र स्वामी शनि)
गुरु -: वृष राशि रोहिणी नक्षत्र चरण 4 में (नक्षत्र स्वामी चंद्र)
शुक्र (वक्री) -: मीन राशि उत्तर भाद्रपद नक्षत्र चरण 3 में (नक्षत्र स्वामी शनि)
शनि -: मीन राशि पूर्व भाद्रपद नक्षत्र चरण 4 में (नक्षत्र स्वामी गुरू)
राहु-: मीन राशि पूर्व भाद्रपद नक्षत्र चरण 4 में (नक्षत्र स्वामी शनि)
केतु-: कन्या राशि उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र चरण 2 में (नक्षत्र स्वामी सूर्य)
राहु काल -: सायं 5/00 से 6/30 बजे तक कोई शुभ या नया कार्य न करें
दैनिक लग्न सारणी -:
प्रात: 6/50 तक मीन
8/26 तक मेष
10/21 तक वृष
दोपहर 12/36 तक मिथुन
2/55 तक कर्क
सायं 5/13 तक सिंह
7/29 तक कन्या
रात्रि 9/48 तक तुला
12/97 तक वृश्चिक
2/12 तक धनु
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जय जय श्री राधे