ब्यूरो,
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस की दूरियां बढ़ती जा रही हैं। ममता की नजर विपक्षी नेतृत्व पर है, इसलिए वह कांग्रेस को किनारे करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही हैं। जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां हैं, वहां चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर उन्होंने साफ कर दिया है कि तृणमूल कांग्रेस के निशाने पर सिर्फ कांग्रेस है। यही वजह है कि कांग्रेस ने भी जवाब देने में कोई देर नहीं की।
ममता बनर्जी ने मुंबई दौरे के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की है। इससे पहले मंगलवार को वह आदित्य ठाकरे और संजय राउत से मिली थी। इन मुलाकात के बाद उनके तेवर कांग्रेस को लेकर और सख्त हुए हैं। संसद के अंदर भी टीएमसी लगातार कांग्रेस से दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रही है। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच आने वाले दिनों में टकराव और बढ़ सकता है। यही वजह है कि ममता कांग्रेस को अलग-थलग कर क्षेत्रीय दलों को एकजुट करना चाहती है। तृणमूल सुप्रीमो का मानना है कि सभी क्षेत्रीय दल एक साथ आ जाते हैं, तो भाजपा को हराना आसान होगा। वह इसी मुहिम के तहत क्षेत्रीय दलों के नेताओं से मुलाकात कर रही हैं।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ममता बनर्जी की क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की मुहिम से भी कांग्रेस नाखुश है। वह मानती है कि यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के चुनाव 2024 के लिए बेहद अहम है। विपक्ष इन चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने में सफल रहता है, तो भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी। पर तृणमूल के रुख से विपक्ष के वोट विभाजित हो सकते हैं।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उनकी इस कोशिश पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस के बगैर भाजपा को हराना सिर्फ एक सपना है। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि सभी पार्टियों को अपना जनाधार बढ़ाने का हक है। उनके मुताबिक, दूसरी पार्टियों के साथ तृणमूल कांग्रेस भी चुनाव लड़ती है, तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं है। पर ममता भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस के नेताओं को तोड़कर अपना जनाधार बढ़ा रही है। शरद पवार से ममता की मुलाकात को भी इससे जोड़कर देखा जाना चाहिए। क्योंकि, एनसीपी गोवा में चुनाव लड़ती रही है।