ब्यूरो,
उत्तर प्रदेश के लखीमुर खीरी के तिकुनिया हिंसा के मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और दो अन्य की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जांच के लिए बने विशेष पैनल को अपग्रेड करने को कहा, क्योंकि अधिकांश अधिकारी लखीमपुर खीरी से ही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से ऐसे आईपीएस अधिकारियों के नाम मांगे हैं जिन्हें जांच के लिए बनी एसआईटी में शामिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये आईपीएस अधिकारी उत्तर प्रदेश कैडर के हो सकते हैं लेकिन राज्य के बाशिंदे न हों। बता दें कि इससे पहले आशीष मिश्रा की बेल पर सुनवाई दो बार टल चुकी है।
बीते महीने लखीमपुर खीरी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान उनपर गाड़ी चला दी गई थी, जिसके बाद हिंसा हुई और कुल आठ लोगों की मौत हुई, जिसमें चार किसान थे। किसानों ने आरोप लगाया कि जिस गाड़ी ने प्रदर्शनकारियों को कुचला उसमें केंद्रीय मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा भी थे। कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने दूसरे राज्य के हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच कराए जाने पर हामी भर दी है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को रिटायर्ड जस्टिस राकेश कुमार जैन और रंजीत सिंह से जांच कराए जाने का सुझाव दिया था।
पिछली बार तीन नवंबर को सुनवाई टल गई थी। एक अधिवक्ता का निधन हो जाने के कारण अधिवक्ता संघ का शोक प्रस्ताव था। इस वजह से सुनवाई नहीं हो सकी थी और तारीख 15 नवंबर तय की गई थी। इससे पहले केस डायरी न आने पर 28 अक्तूबर को भी जमानत टल चुकी है। अदालत ने विवेचक से मामले की केस डायरी, फोरेंसिक जांच रिपोर्ट, अपराधिक रिकार्ड समेत सभी दस्तावेजों के साथ सोमवार को बुलाया है। दोनों पक्ष के अधिवक्ता इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अरविंद त्रिपाठी ने बताया कि अभियोजन की तैयारी पूरी है।
लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा के मोबाइल की फॉरेंसिक रिपोर्ट भी एसआईटी को मिल गई है। लैब में से तमाम डाटा रिकवर हो गया है। पुलिस जांच कमेटी रिपोर्ट का अध्ययन करने में जुटी हुई है। पुलिस जांच कमेटी को आशीष के मोबाइल में क्या डाटा मिला है, इसके बारे में अफसर बताने से बच रहे हैं। लखीमपुर हिंसा के पहले मुकदमे में पुलिस ने नौ अक्तूबर को मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा को जेल भेजा था। उस समय आशीष के पास से उनका मोबाइल बरामद किया था।
मोबाइल को फॉरेंसिक जांच के लिए त्रिवेंद्रम की लैब भेजा गया था। जिससे पता चल सके कि मोबाइल से कोई डाटा डिलीट किया गया है या नहीं। अगर डाटा डिलीट किया गया हो तो उसको रिकवर किया जा सके। करीब एक महीने बाद आशीष के मोबाइल की लैब से फॉरेंसिक रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट जांच कमेटी को मिल चुकी है। बताया जा रहा है कि टीम रिपोर्ट का अध्ययन करने में जुटी हुई है। लेकिन अभी तक अफसर यह बताने से बच रहे हैं कि आशीष के मोबाइल से उनको क्या डाटा मिला है।